पृष्ठ:क्वासि.pdf/६०

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क्कासि तुमने सोचा है में होगा भ्रमित, लात नहीं तेरता मै रस सागर इतने छिछले, ओ, मेरे मीत भल। जिला जेल, उ नाव, दिनाङ्क, ३ माच १६६३ तेतीस