पृष्ठ:क्वासि.pdf/६१

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प्राओ, साकार बनो ओ मेरे निराकार, आओ, साकार बनो, निरवलम्न जीवन के तुम चिर आधार बनो, आओ, साकार मनो। १ इतो दिन बीत चुके तुम्हें गए, मेरे प्रिय, सोची तो, कब से है रिक्त रिक्त मेरा हिय ! सूरा चला है सचित स्वनि सूत नेह अमिय, आओ, मेरे प्रियतम, मम विगलित प्यार बनो, भम चिर आधार बनो। २ मम समाधि अम्बर में पूर्ण च द्र बन विहें सो, सूने दिडमण्डल में कोमल धुति वन विलसो, मम चि तन सूनों में पार्थिव बा श्रान फँसो, बदली बन छाओ, प्रिय, नेह नीर धार बनो, श्राओ, साकार बनो। ३ निरखो मम कठिनाई, तिरखो मम व्यथा नेक, सुन तो लो यह मरी उलझन की कथा नेक, चौतीस