पृष्ठ:क्वासि.pdf/७२

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फिर गूजे नव रवर, प्रिय अाज राम र ब्रा से फिर गूंजे नव स्वर, प्रिय, कूक उठी हिय मुरली फिर से स्वर भर भर, प्रिय। ? सिहर उठा यह धूमिल धूमिल सा ग्रीष्म गगन, मझा के झूरो में झूल लहर उठा यजन, घुमडे दल के दल ये मघ भरे बादल गन, सम्बर का नक्षस्थल घहर उठा घर घर, प्रिय, फिर गूंजे नव स्वर, प्रिय । २ दे टप टिपिर टिपिर टपकी दरा बादल से, धारा घिर घहरी नम के वक्षस्थल से, सिहर उठा मलयानिल, हम सिहरे चेकल से, कॉपा मन, उमडा हिय, नयन झरे झर झर, प्रिय, फिर गूंजे नव स्वर, ३ थत जल मय, प्रासापित, कल्लोलित, हुआ सरित, हुए चपल , समल, तरल अगणित ये स्रोत सरित, पैतालीस - प्रिय।