पृष्ठ:क्वासि.pdf/७६

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कासि नाह । फिर भी, वगा रहेंगे ये अधर नियमाग मेरे ? मा7 केसा? प्राण मेरे। बरजते हो क्या हगां से चरण गत आराधना को ? फलवती होने 7 दोगे क्या गिर तर साधना को ? निठुर, ठुकराओं ने मेरी इस अदीमा याचना को, पद परस से खिल उठेगे निपट मुरझे गान मेरे, मान कसा ? पाए मेरे। श्री गणश कुटीर, कानपुर, दिवा ७७ ३६ } पचास