पृष्ठ:क्वासि.pdf/७७

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सजन मेरे सो रहे है सजन मेरे सो रहे हैं, आज द वालीत से वे योग निद्रित हो रहे है, सजन मेरे सो रहे हैं। सुख शयन के भार से हैं युग हग छद अति थकित वे, ध्यान जीया नाद में है रम गए लोचन चकित चे नयन तारा पलक काराबद्ध है, अति गति चलित वे, श्वास दोलाचलन में प्रिय भार तद्रिल ढो रहे है, सजन मेरे सो रहे हैं। २ नींद में घुल मिल गई है जागरण की सब यथाएँ, स्वाक सकेत की हैं अटपटी सी सब कथाएँ, शू य निद्रा लोक शोभा सजन तो बताएँ, इस समय तो चित्त की चिर चेतना वे खो रहे है, सजन मेरे सो रहे हैं। ३ सुप्ति सरिता धार में अस्तित्व तरणी पड गई है, पूर्ण सज्ञा शू यता के मॅपर लौ वह बह गई है, जाग इक्यावन