पृष्ठ:क्वासि.pdf/८१

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अब कब तक खोजोगे साजन? अन कर तक खोजोगे साजन? अम खोजा तो जगत हॅसेगा औ' तुम मर जाओगे लाजन, अस का तक खोजोगे साजन? १ हुन्ना पराया वह पीतम भी जिसको तुम समझे ये अपना, उसने ही यदि त्याग दिया तन अब क्या नाम किसी का जपना ? अब न देखना सपने, यह था अतिम मधुर तुम्हारा सपना ! अर क्या नव स्वर ? जब किस्त ध है उन चरणों की पायल, पॉजन, अब कब तक खोजोगे साजन ? २ तुमने दिये अयं ऑसू के, पर, उनमें था मटमैलापन, तुमने हृदय प्रसून चढाया, पर, उसमें था पाथिन पदन, यदि न ग्रहण कर सके सजन यह तन उपहार, प्यार अभिव्यजन, तो यह भाग्य तुम्हारा, कोई क्यों ल टूटा फूटा भाजन ? अब कब तक खोजोगे साजन ? ? ३ तुम कैसे हो, यह तो सोचो, तुममें क्या है, अरे हठीले ? कोई क्यों आकर के पोंछे ये तब लोचन गीले गीले ? पचपन