पृष्ठ:क्वासि.pdf/८४

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बासि श्रो प्रवासी, चरण, गति में शिथिलता की समाई ? धीर पग धरते पढ़ो तुम प य पर, ओ पथिक, अविकल | रालककर, यो घूमकर, क्यों देखते हा मिशन का यल ? रेल प, चिरगाँव कानपुर, 2 दिनाङ्क १ जून १६३६ प्रहावन