पृष्ठ:क्वासि.pdf/९२

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फागुन 1 अरे ओ निरगुन फागन मास ! मेरे कारागृह के शू य अजिर ग मत कर वास, अरे ओ निरगुा फागुन मास २ यहा राग रस रङ्ग' कहाँ है? मॉझ न मदिर मृदा यहाँ है, अरे चतुर्दिक फेल रही यह जहाँ तहाँ है। इस देश में गत आ तू रस नश हँसता सोरलास, अरे, ओ भोले फागुन गास ! ३ कोहू में जीवन के कण कण,- तेल तैल हो जाते क्षण क्षण । प्रतिदिन चक्की के धम्मर में- पिस जाता गायन का शिवाण, मोन भावना नियासठ