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खग्रास

सोवियत विज्ञान एकादमी की समुद्र-विज्ञान संस्था ने बनाया है। और उसका वे सफल प्रयोग दक्षिण काला सागर में कर रहे है।"

"इस महत्व की सूचना के लिए धन्यवाद मिस्टर डे।"

"धन्यवाद ईसूमसीह को, जिसकी कृपा से आपने मेरी इस सूचना को मज़ाक नहीं समझा। खैर, अब आप यह बतलाइए डाक्टर, कि आप इस भू भौतिकीय वर्ष में क्या करना चाहते है?"

"हम इस साल में पृथ्वी, समुद्र, वायु-मण्डल तथा सूर्य के सम्बन्ध में ६४ देशो के वैज्ञानिक सहयोग पूर्वक जानकारी एकत्र कर रहे है।"

"आपने अब तक कुछ नई बातो की जानकारी हासिल की है?"

"हम इतना जान पाये है कि वायुमण्डल पूर्व कल्पना से भी कही अधिक विस्तृत है। यह हजारो मील में फैला हुआ है। तथा अत्यधिक सूक्ष्म और विरल है।"

"क्या सूर्यमण्डल के सम्बन्ध में भी कुछ नई जानकारी प्राप्त की गई है?"

"बहुत कुछ। सूर्य का उच्च आकाश मण्डल पर गहरा प्रभाव है । भूमि से ५० मील की ऊँचाई से लेकर ४०० मील तक की ऊँचाई तक जो अयन मण्डल विद्यमान है, उसकी सतहो अथवा परतो के निर्माण के लिए सूर्य का विकिरण उत्तरदायी है, इसमे से कुछ विकिरण ब्राडकास्टो द्वारा प्रसारित रेडियो-तरंगो को पृथ्वी पर वापस प्रतिबिम्बित करते है।"

"किस प्रकार?"

"सूर्य के धब्बे तथा उसकी लपटे रेडियो-तरंगो में बाधा उपस्थित करते हैं। ये नौ-वहन के दिशा सूचक-यन्त्रो पर भी अपना प्रभाव डालते है। तूफानो और मौसम के परिवर्तनो का भी सम्भवतया इनसे सम्बन्ध है। इसके अतिरिक्त इनके फलस्वरूप प्राय असाधारण ध्रुवीय प्रकाश धाराएँ दृष्टिगोचर होती है। तथा भू-चुम्बकीय तथा ब्रह्माण्ड किरणो सम्बन्धी हलचलो में भी असाधारणता उत्पन्न हो जाती है।"