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खग्रास

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के महान्* ज्योतिर्विद डा॰ ओटोस्त्रुवे, जो वहाँ के ज्योतिष विद्या विभाग के अध्यक्ष है और पापा के पट्ट शिष्य हे, उनके पास रूसी ज्योतिषाचार्य निकोलाई ने पापा के अनुरोध से चन्द्रमा के कुछ रङ्गीन चित्र भेजे थे जो उन्होने कार्बन गैस के प्रकाशवान् विस्फोट का निरीक्षण करती बार लिये थे। उन पर से भी डा॰ निकोलाई की भाँति डा॰ औटोस्त्रुवे को भी यह विश्वास हो गया है कि पापा ही की बात ठीक है कि चन्द्रमा मे ज्वालामुखी के विस्फोट ही से ऐसा हुआ है। वैज्ञानिक जार्ज बर्टन भी अब यह मानते है।"

"तो आप रूस की जिस भारी तैयारी की बात कह रही थी, वह क्या चन्द्रमा मे निवास के सम्बन्ध मे ही थी?"

"नही, वह तो ऐसी बात है जिसकी आज मानव कल्पना भी नही कर सकता। पापा आजकल इसी कार्य मे व्यस्त रहते है। रूस और अमेरिका से उनके निरन्तर सम्पर्क जारी है। और शीघ्र ही संसार के समक्ष विश्व इतिहास मे एक अभूतपूर्व घटना होने वाली है।"

"आपने तो मेरे कौतूहल को बुरी तरह जाग्रत कर दिया। आखिर वह अभूतपूर्व घटना है क्या?"

"देखेगे आप? आइए मेरे साथ।" बाला ने उन्हे संकेत से कक्ष के एक कोने मे बुलाया। वहाँ जाने पर उसने एक बटन दबाया और वह भाग पृथ्वी मे धँस गया। काफी गहराई तक वह धँसता चला गया, इसके बाद वे दोनो वहाँ से उतर कर एक तङ्ग गलियारे मे कुछ दूर चले जो बिजली के प्रकाश से आलोकित था। वहाँ एक वैसी ही लिफ्ट और थी। उस पर चढते ही वह तीव्र गति से ऊपर चढने लगी। वह ऊपर चढती ही गई और जब वह रुकी तो तिवारी ने देखा-वे वहाँ की सबसे ऊँची पहाडी की चोटी पर पहुँच गए है। जहाँ एक अत्यन्त सुदृढ किसी धातु का एक कमरा बारह फीट चौडा और कोई चालीस फीट लम्बा है। कमरे में कोई द्वार नही है। छत उसकी काँच जैसी किसी पारदर्शी वस्तु की है जो स्वय प्रकाशमान है। कमरे की दीवारे भी प्रकाशमान है। समूचे फर्श पर असख्य यन्त्र फैले हुए है। उन्ही मे