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खग्रास

तीसरी अपने आपको दो हिस्सो मे बाँट सकने वाले व्यूहाणुप्रो के जन्म से सम्बन्धित है।

"प्राचीन लोगो को कुछ हजार नक्षत्रो की जानकारी थी। प्रारम्भिक दूरबीनो के काल मे यह सख्या १० लाख तक पहुँच गई। दूरबीनो मे प्रगति होने के साथ यह सख्या निरन्तर अधिकाधिक होती चली गई। अन्त मे इस बात की जानकारी से कि नीहारिकाएँ भी वास्तव मे आकाशगंगाएँ ही है और इनमे से प्रत्येक मे लाखो और अरबो नक्षत्र है तथा बडी से बडी दूरबीनो की सहायता से इन नीहारिकाओ की तह तक देख सकने मे हम असमर्थ है, हम इस बात का विश्वास करने के लिए विवश हो गए कि हमारे द्वारा खोजे जाने वाले विश्व मे १० से भी अधिक ग्रह तथा सम्भवतया बहुत अधिक नक्षत्र है।

"इस खोज का वास्तविक महत्व यह है कि यह स्पष्ट हो गया है कि ब्रह्माण्ड मे असख्य प्रकाश और ताप के साधन है। यह ताप और प्रकाश उन ग्रहो को प्राप्त है, जो चमकीले नक्षत्रो के साथ रहते हे।"

"जीवन-शक्ति प्रदान करने वाले क्या कुछ नक्षत्र है?" तिवारी ने फिर प्रश्न किया।

"हाँ, आकाशगंगानो की व्यापकता के फलस्वरूप यह प्रश्न उठता है क्या ग्रहो के साथ कुछ ऐसे नक्षत्र भी है, जो ऐसी शक्ति प्रदान करने मे समर्थ है, जिनसे जीव-विज्ञान सम्बन्धी पेचीदा हलचले होनी सम्भव हो सके? वे हलचले जिन्हे हम जीवन के नाम से पुकारते है?

"आज हम निरीक्षणो के आधार पर वाह्य आकाशगंगाओ के व्यापक हो रहे ब्रह्माण्ड मे विश्वास करने लगे है। जब हम भूतकाल के बारे मे सोचते है, तब हमे इन आकाशगंगाप्रो के मापे जाने वाले अंगो के फलस्वरूप इस बात का पता चलता है कि भूतकाल मे इन आकाशगंगानो का जमाव और भी अधिक घना था। कई अरब वर्ष पहले अन्तरिक्ष मे यह जमाव इतना घना था कि आपस में टकराव अथवा ऐसी ही कोई स्थिति अनिवार्य थी तथा गुरुत्वाकर्षण मे प्राय गड़बड़ होती रहती थी। पृथ्वी की सतह की