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खग्रास

वर्ग की साम्राज्यवादी प्रवृत्ति से लोक्तन्त्र को कोई खतरा न हो तो भी एक दूसरे की आवश्यकता से सम्बन्धित यह बात इसी रूप मे बनी रहेगी। संसार की शान्ति, मैत्री और दया की दृष्टि से भी यह आवश्यक है"—भूदेव ने दर्प से कहा।

"इस बात को भारतीय और अमेरिकन दोनो ही मूल्यवान समझते है। हम जिस दुनिया का निर्माण करना चाहते है, उस दृष्टि से भी दोनो देशो का सहयोग आवश्यक है। ऐसी दशा मे हम अमेरीकावासी अपने लोकतन्त्र मे निहित खराबियो को दूर करने के अपने अन्तिम सघर्ष मे भारत की सद्भावना और प्रोत्साहन प्राप्त करने की आशा करते है।"

"निस्स देह अमेरिका ने जो महान् भौतिक प्रगति की है, उसकी अपेक्षा भी अमेरिका का अधिक प्रतिनिधित्व करने वाली एक अन्य चीज है जिसने उसे यह महानता दी है। अमेरिकी जनता मे जो शक्ति और मतभेद का अद्भुत सम्मिश्रण है, वह अद्भुत है।" भूदेव ने कहा।

"वास्तविक बात यह है कि स्वाधीनता, प्रतिष्ठा, पडौस चारे की सद्भावना के आध्यात्मिक गुणो का प्रकाशन ऐसा है जिसके कारण सब देशो के निवासी एक सूत्र मे आबद्ध हो जाते है, हमारा तो एक ही ध्येय है—संसार मे शान्ति हो तो मनुष्यो मे सद्भाव हो। ये बड़े पवित्र शब्द है, इन्होने युगो से मानव प्रगति को उत्साहित और अनुप्राणित किया है। अब्राहम लिकन के ये शब्द हमारे पथदर्शक है—सबके प्रति अनुकम्पा रखना और सत्य मार्ग पर अविचलित रहना।"

भूदेव ने कहा—"हम तो आपसे केवल यही कह सकते है कि हम भारतवासी स्वतन्त्रता, समानता, व्यक्ति की प्रतिष्ठा और मानव स्वतन्त्रता पर विश्वास करते हे। इसी वजह से हम लोकतन्त्री जीवन-पद्धति के अडिग अनुयायी है और उसके प्रति अपनी निष्ठा को कभी नहीं जाने देगें। अब से केवल दस वर्ष पूर्व हमने अपने देश को स्वतन्त्र माना है और उन सिद्धान्तो पर आधारित अपना सविधान बनाया था तथा व्यक्ति की स्वतन्त्रता, समानता और कानून सम्मत शासन के मूलभूत मानव अधिकारो की पक्की व्यवस्था की है।"