इस (कागज ) पर इसी (ठुलारी ) ने अपने अंगूठे का निशान भी कर दिया है ! ' लो, सुना न तुमने ! पर इस बात को तुम अपने मन में ही रखना और इस पोशीदा बात को किसी के मागे जाहिर मत कर बैठना । सुनो, एक बात मैं तुम्हें समझाए देता हूं कि तुम बस कागज की लिखावट सुनकर जरा भी न घबराना और मजिष्ट्रेट से साफ साफ यह कह देगा कि, कोतवाल ने अपरदस्ती मेरे अंगूठे का निशान एक कोरे कागज पर करा लिया था। उसके पास इस ( कोतवाल ) ने, जो कुछ इसके मन में आया, इस कारण में लिख मारा है।' यों कहकर तुम अपना यही बयान मजिष्ट्रेट के आगे देना, जो फि तुमने पुलिस के एफ अंगरेज अफसर के सामने, अभी, उस दिन, दिया है । क्यों, मेरी इस बात को तुम याद रक्खोगी न ?
यह सुन और मन ही मन उस नेक कांस्टमिल को बहुत बहुत आसीस देकर मैने यों कहा,-"हां, भाईसाहब ! तुम्हारी इस बात को मैं मरते दम तक कभी भी न भूलंगी। इस समय मेरे काम की इस खबर को कर तुमने मेरी बड़ी भलाई की है ! परमेश्वर तुम्हारा भला करे ! मैं तुम्हारी इस नेक सलाह को कभी भी न भूलंगी और मजिस्ट्रेट के आगे अपना वही बयान दंगी, जो " इस दिन उस अंगरेज के सामगे मैने दिया है। तुमगे यह पसे की बात मुझे बताई, यह बहुत ही अच्छा हुआ । यों तो मैं मजिस्ट्रेट के सामने भी यही बातें कहती, तो मैने उस अंगरेज अफसर के सामने कही थीं। पर फिर भी तुमले इस खबर को पाकर मैं और भी होशियार होगई हूँ। अजी, इतना तो मैं उसी समय समझ गई थी, जय जबरदस्ती मेरे अंगूठे का निशान एक कोरे कागज पर लिया गया था कि, 'ये हजरत कोतवाल साहब अब इस कोरे कागज फो अपने मन-मानता रंगेंगे और उसे मेरा दिया हुआ इजहार बताबेंगे'; पर फिर भी तुमने जो मुझे यह अनूठी भौर सच्ची खबर