पृष्ठ:खूनी औरत का सात ख़ून.djvu/१०७

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सात खून।


नींद-महारानी में थोड़ी ही देर में मुझे अपना मुलायम गोद में सुला लिया।

सारी रात मैं सुख से खोती रही और उस रात को मुझे कोई भी सपने-अपने नहीं दिखलाई दिए । इसकी वजह यह है कि जब रात को खूब गहरी नींद आती है, तब सपने नहीं दिखाई देते । अस्तु, सारी रात तो मैं बेखबर पड़ी हुई सोया की, पर सबेरे मुझे ऐसा जान पड़ा कि मानो कोई छड़ी से मेरे पैरों में धीरे-धीरे ठोकरें दे रहा हो ! यह जान कर मैं चट उठ बैठी और आखें मल कर मैने क्या देखा कि,'शिवरामतिमारी मेरी कोठरी के आगे खड़े हुए हैं।

मैं यह देख कर कुछ कहना ही चाहती थी कि उन्होंने अपनी नाकपर उंगली रखकर मुझे चुप रहने का इशारा किया और बहुत ही धीरे-धीरे यो कहो,-"अब, सब खुमारी दूर करके होशियार होजाओ, क्योंकि दरोगाजी कोतवाली में आगए हैं।"

यह सुन कर मैने अपनी आंखे खूब मल डाली और धीरे-धीरे नींद की खुमारी दूर की। फिर अब शिवरामतिवारी मेरो कोठरी के आगे आकर हठरे, सब मैंने उनसे यह पूछा,-"कै बजने का समय है?"

वे बोले,--"अब आठ बजने वाले हैं। क्यों, रातभर तो तुम मजे में सोई थी न?"

मैं बोलो,--"हां, भाई ! तुमलोगों की दया से रात को मैं बड़ी गहरी नींद में सुख से सोई थी । अष मेरा जी खूच हलका होगया है, इसलिये मात्र आधीरात तक मैं मजे में जाग सकूंगी।"

वे बोले,--"अच्छी बात है। और फिर आधीरात तक जागने की जरूरत हो क्या है ? क्योंकि दरोगाजी रात को आठ बजते- बजते यहांसे एक रण्डी के यहां चले जाते हैं और वहीं शराब-कवाव में सारी रात डूबे रहते हैं। बस, सुषद को वे यहां आते

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