पृष्ठ:खूनी औरत का सात ख़ून.djvu/१३२

विकिस्रोत से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

( १२८) खूनी औरत का

शागेदार वह लौकर माया, सो असो मुझे अपनी कोडरी में बुलाया। उस समय कोठरी में से बाहर निकालकर जो खोकीहार मुझे धागेहार के पास ले जा रहा था, उसका नाम बीपन' था। लो, उसे मो या हकमा देकर समाग दिखलाया कि, 'मगर तुम थानेदार को मारकर मुझे यास निकाल के चलो तो मैं तुम्हारी सोधी अनंगी।' पसं, यह बेवफ मेरी देतो बात सुमते ही मेरे दम झांसे में भागया और मुझसे यों कहने लगा शि, मा. दुलारी! तुम्हारी मामिलाल खूबसूरती की खातिर में दुल्ला को फौरन मार डालता है और तुम्हें यहांले बेलाग पलाकर कहीं के भगता है: 'स, षों कहकर वह मुझे अबदुल्ला की कोठरी में खेगया । मुझे देखते ही अगदुल्ला ने उसी तस्तपर बैठने का इशारा किया, जिसे काम कर मैं उसी तख्तपर एक किमारे करीने से बैट गई । मपल्ला इस वक दम पर दम, प्याले पर प्याले काली करता ला रहा था। सो, वहीं पर होंगन भी धैठ गया और थोड़ी ही देर में इसमे भी बो-तीन बोतलें खाली कर डाली। इसके बाद इस (हींगन ) मे सल्वार उठाकर इस जोर से भगदुल्ला की गर्दन पर मारी कि उसका सिर भुट्टे की तरह हरककर दूर जा गिरा और हसकी बेसिर की लाश उसी तखत पर लुढ़क गई ! यह तमाशा देखते ही मैने हंसकर हींगम को मुबारकबाद दी और अपने हाथ से प्याले में शराब डालकर उसे पिलाना शुरू किया । एक घण्टे में मैने इलमी शराब उसे पिलाई कि यह मारै मशे के बेहोश होकर उस्ली शास्वत पर लोट गया ! तब मैने सटकर एक दूसरी तपार,जो यही पर एक कोने में रक्खी हुई थो, ठाकर गौर से म्यान से बाहर सारस (हींगन ) के कलेजे में घुसेड़ दी । बस, इस तरह जप थे दोनों मूजा खतम होगए,तष मैने मन ही मन यो सोचा कि, 'अब मुझे क्या करना चाहिए ?' माखिर, देर तक खून मच्छी तरह अपना नामा पीछा सोचकर मैने यही बात ठीक की कि,