पृष्ठ:खूनी औरत का सात ख़ून.djvu/१३२

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खूनी औरत का


शानेदार वहां लौटकर आया, तो उसने मुझे अपनी कोठरी में बुलाया। उस समय कोठरी में से बाहर निकालकर जो चौकीदार मुझे थानेदार के पास लेजा रहा था, उसका नाम 'हींगन' था। सो, उसे मैंने यह चकमा देकर स्वप्नबाग दिखलाया कि, 'अगर तुम थानेदार को मारकर मुझे यहांसे निकाल ले चलो तो मैं तुम्हारी बीबी बनूंगी।' बस, यह बेवखूफ मेरी ऐसी बात सुमते ही मेरे दम झांसे में आगया और मुझसे यों कहने लगा कि, 'अच्छा, दुलारी! तुम्हारी लामिसाल खूबसूरती की खातिर मैं अबदुल्ला को फौरन मार डालता हूँ और तुम्हें यहांसे बेलाग बचाकर कहीं ले भगता हूँ।' बस, यों कहकर वह मुझे अबदुल्ला की कोठरी में ले गया। मुझे देखते ही अगदुल्ला ने उसी तख्तपर बैठने का इशारा किया, जिसे काम कर मैं उसी तख्तपर एक किनारे करीबे से बैठ गई। अबदुल्ला उस वक्त दम पर दम, प्याले पर प्याले खाली करता जा रहा था। सो, वहीं पर हींगन भी बैठ गया और थोड़ी ही देर में उसने भी दो-तीन बोतलें खाली कर डाली। इसके बाद बस (हींगन) ने तल्वार उठाकर इस जोर से अबदुल्ला की गर्दन पर मारी कि उसका सिर भुट्टे की तरह छटककर दूर जा गिरा और उसकी बेसिर की लाश उसी तखत पर लुढ़क गई! यह तमाशा देखते ही मैने हंसकर हींगम को मुबारकबाद दी और अपने हाथ से प्याले में शराब डालकर उसे पिलाना शुरू किया। एक घण्टे में मैने इतनी शराब उसे पिलाई कि वह मारे नशे के बेहोश होकर उसी तखत पर लोट गया! तब मैने उठकर एक दूसरी तलवार,जो वही पर एक कोने में रक्खी हुई थी, उठाकर और उसे म्यान से बाहर खैंचकर उस (हींगन) के कलेजे में घुसेड़ दी। बस, इस तरह जब वे दोनों मूजा खतम होगए, तब मैंने मन ही मन यों सोचा कि, 'अब मुझे क्या करना चाहिए?' आखिर, देर तक खूब अच्छी तरह अपना आगा-पीछा सोचकर मैंने यही बात ठीक की कि,