पृष्ठ:खूनी औरत का सात ख़ून.djvu/१५३

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सात खून। घर की तलाशी ली जायगी यो उन सिपाहियों से कहकर वह मेरी "कोठरी में घुस गया, लेकिन भीतर वह जादे देर तक न ठहरा और तुरन्त बाहर आकर दालान में खड़ी की हुई चारपाई बिछा- कर उस पर बैठ गया।"... इतना कहकर पुनी ने अपनी भीगी आंखें पोंछों और फिर यों .. कहना प्रारंभ किया,-“पुलिस का हंगामा देख सुनकर मेरे घर के और महल्ले के बहुत से श्रादमी इकट्ठे होगये थे और वे सबके सब पारी पारी से लूकीलाल से यों पूछने लग गये थे कि,- यह क्या बात है ? " इसपर लूकीलाल ने उन सबों से यों कहा कि, ये दोनों मेरे यहां काम धंधा करती थीं, सो कल रात को जब ये अपने घर वापस आने लगी तो मेरे बठक में से मेरे पान तंबाकू . की चांदी की डब्बी, जिसकी कीमत कमसे कम तीस चालीस रुपये होगी, चुराकर लेती श्राई। इसीलिये मैं पुलिस को लिवा लाया हूँ। अगर माल बरामद होगा तो इनको थाने पर भेजा जायगा और जो कुछ न निकला तो पुलिस के साथे मैं वापस चला जाऊंगा।" वह पापी इतना ही कहने पाया था कि दरोगाजी भी आगए और उन्होंने मेरे मकान के मालिक और दो चार और भी महल्ले के लोगों को साथ लेकर मेरो कोठरी के अंदर जाकर वह चांदी की डब्बी बरामद की !!!" हाय, यह हाल देखकर हम दोनों बहिने तो फूट कर रोने धान लगी, और महल्ले के सब आदमी, एक एक करके चले गए । इसके बाद मैंने अपनी कोठरी का ताला लगाकर उसकी ताली मालिक मकान के हाथ में देवी और तब दोनों बहिने थाने में पहुँचाई गई। फिर वहां से कचहरी में हाकिम के सामने हाजिर की गई और छः छः महीने की सजा पाकर इस जेल के अन्दर भजदी गई। मैंने पुलिस और हाकिम के आगे बधुतेरा रोमा रोया और लूकीलाल