पृष्ठ:खूनी औरत का सात ख़ून.djvu/१६४

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'६१६०) खूनी औरत का । ittithili HORTLABEL समझाये देता हूं । सुनो,-" यहां से आकर भाई दयाल सिंह और बारिष्टर दीनानाथ रसूलपुर के थाने पर पहुंचे और बहुत कुछ कोशिश करने के बाद अबकी बेर वे दोनों दियानत हुसेन और रामदयाल चौकीदार के पेट से सच्ची बात निकाल सके । इस बार उन दोनों ने वे कुल बाते कबूल करली, जो तुमने अपने बयान में कही हैं । इसके बाद जासूस साहब और बारिष्टर साहब कानपुर पहुंचे, वहां जाने पर उन्हें मालूम हुआ कि कोतवाल साहब तो प्लेग की भेंट होगये, दरोगाजी एक रंडी के फंदे में एड़ने के सबब नौकरी से अलग किये गये और उनका साला अमीर पहरेदार भी नौकरी छोड़कर कहीं चल दिया। हां, रघुनाथसिंह और शिवराम तिवारी के बयानों से तुम्हारी बातें सच्च साबित होगई । इसके बाद जासूसी महकमे के छोटे साहब ने जो यहां पर तुम्हारा क्यान लेने आये थे, बहुत कुछ टीका-टिप्पणी लिखकर अपने अफसर बड़े साहब को दी और बड़े साहब ने उस तहरीर पर अपनी जोरदार राय लिखकर उसे हाईकोर्ट के जजों के पास भेज दिया। फकत इतना ही नहीं, बरन् इस बात का भी अंदाजा लग गया है कि फेला ठीकही होगा। मुकदमा नम्बर पर श्रागया है और श्राशा है कि फैसला बहुत जल्द सुना दिया जायगा। सारा इन्तजाम कर देने के बाद भाई दयालसिंह तो अपने घर चेल गये हैं और बारिष्टर दीनानाथ मुकदमे के फैसल होने तक इलाहाबाद से हटना मुनासिब नहीं समझते!" इतना लिखने के बाद बारिष्टर साहब तुम्हें यह इत्मीनान दिलाते हैं कि दुलारी को अब ज़रा भी डरना या घबराना न चाहिये !" women इतना कहने के बाद जेलर साहब ने उस पत्र को लिफाफे के अन्दर रखकर उठते उठते यों कहा,-" बेटी, दुलारी ! यह तो मैं पहिले ही से कहता आरहा हूँ कि जब ऐसे जबर्दस्त जासूस और बारिष्टर सुम्हारे लिये उठ खड़े हुए हैं, तब तुमको जरा भी न