सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:खूनी औरत का सात ख़ून.djvu/७१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
( ६७ )
सात खून।


आकर बैठाने का इशारा किया। किन्तु मैं उस तखतेपोश पर न बैठ कर नीचे धर्ती में बिछे हुए टाट के बोरे पर बैठ गई और हंस कर यों बोली,-"जी, यही अच्छा है।

इस पर जब वह बार बार मुझसे तकतेपोश पर बैठने के लिए कहने लगा तो हींगन ने इसके प्याले में शराब ढाल कर उससे यों कहा,--" खैर, जरा भोर ठहर जाइए, क्यों कि जब यह इस कोठरी के अन्दर आयी गई है, तो फिर तखतेपोश पर आने में कितनी देर लगेगी। आप क्या यह शत नहीं जानते कि, 'नई नबेली नार मरा जियादह मिन्नतें कराती हैं !"

हींगन की बात पर अबदुल्ला जरा गरम हो उठा और स्योरी बदल कर उससे बोला,--"बस, व्यस्त, चुप रहो, क्योंकि इस वक्त तुम्हारे वकालत करने की कोई जरूरत नहीं है, इसलिये अब तुम फौरन वहांसे ले जाओ और अपनी कोठरी में जाकर आराम करो।

यह सुन कर हींगन भी झल्ला उठा और दाव-पेच खा कर यों कहने लगा.--"नहीं, मैं इस कोठरी के बाहर नहीं जाऊंगा। क्योंकि अभी तो शाम ही हुई है। इसलिये जरा दो-चार बोतलों को खाली होने दीजिए, उसके बाद मैं आपही यहां से चला जाऊंगा!"

यह सुन कर अबदुल्ला ने कहा,--'तो, को,-यह एक दोसरा शराब तुम लेते जाओ।

हींगन बोला,--" और साथ ही, इस नाजनी को भी लेता जाऊं ?क्योंकि बगैर इस परी के, तनहाई में शराब पीकर अच्छी लगेगी।

हींगन की यह पास सुन कर अबदुल्ला बहुत ही झल्लाया और हींगन को गालियां देने लगा। पर हींगन चुपचाप खड़ा खड़ा खाल लाश आंखों से अबदुल्ला की ओर घूरता रहा । अबदुल्ला भी हींगल की तरफ भौंवें तान ताग कर गुरेर रहा और बड़ी तेजी के