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जजों से कहूँगा। कोई तो सुनेगा। सारा वृत्तांत समाचार-पत्रों में छपवा दूंगा, तब तो सबकी आँखें खुलेंगी।

मोटर तीस मील की चाल से चल रही थी। दस मिनट ही में चौरंगी आ पहुँची। यहाँ अभी तक वही चहल-पहल थी, मगर रमा उसी जन्नाटे से मोटर लिए जाता था। सहसा एक पुलिसमैन ने लाल बत्ती दिखाई। वह रुक गया और बाहर सिर निकालकर देखा, तो वही दारोगाजी!

दारोगा ने पूछा-क्या अभी तक बँगले पर नहीं गए? इतनी तेज मोटर न चलाया कीजिए। कोई वारदात हो जाएगी। कहिए, बेगम साहब से मुलाकात हुई? मैंने तो समझा था, वह भी आपके साथ होंगी। खुश तो खूब हुई होंगी!

रमा को ऐसा क्रोध आया कि मूंछे उखाड़ लूँ, पर बात बनाकर बोला—जी हाँ, बहुत खुश हुई।

'मैंने कहा था न औरतों की नाराजी की वही दवा है। आप काँपे जाते थे।'

मेरी हिमाकत थी।

'चलिए, मैं भी आपके साथ चलता हूँ। एक बाजी ताश उड़े और जरा सरूर जमे। डिप्टी साहब और इंस्पेक्टर साहब आएँगे। जोहरा को बुलवा लेंगे। दो घड़ी की बहार रहेगी। अब आप मिसेज रमानाथ को बँगले ही पर क्यों नहीं बुला लेते। वहाँ उस खटीक के घर पडी हई हैं।'

रमा ने कहा अभी तो मुझे एक जरूरत से दूसरी तरफ जाना है। आप मोटर ले जाएँ। मैं पाँव-पाँव चला आऊँगा।

दारोगा ने मोटर के अंदर जाकर कहा-नहीं साहब, मुझे कोई जल्दी नहीं है। आप जहाँ चलना चाहें, चलिए। मैं जरा भी मुखिल न हूँगा।

रमा ने कुछ चिढ़कर कहा–लेकिन मैं अभी बँगले पर नहीं जा रहा हूँ।

दारोगा ने मुसकराकर कहा-मैं समझ रहा हूँ, लेकिन मैं जरा भी मुखिल न हूँगा। वही बेगम साहब..."

रमा ने बात काटकर कहा—जी नहीं, वहाँ मुझे नहीं जाना है।

दारोगा-तो क्या कोई दूसरा शिकार है? बँगले पर भी आज कुछ कम बहार न रहेगी। वहीं आपके दिल-बहलाव का कुछ सामान हाजिर हो जाएगा।

रमा ने एकबारगी आँखें लाल करके कहा—क्या आप मुझे शोहदा समझते हैं? मैं इतना जलील नहीं हूँ।

दारोगा ने कुछ लज्जित होकर कहा-अच्छा साहब, गुनाह हुआ, माफ कीजिए। अब कभी ऐसी गुस्ताखी न होगी, लेकिन अभी आप अपने को खतरे से बाहर न समझें। मैं आपको किसी ऐसी जगह न जाने दूंगा, जहाँ मुझे पूरा इत्मीनान न होगा। आपको खबर नहीं, आपके कितने दुश्मन हैं। मैं आप ही के फायदे के खयाल से कह रहा

रमा ने होंठ चबाकर कहा—बेहतर हो कि आप मेरे फायदे का इतना खयाल न करें। आप लोगों ने मुझे मटियामेट कर दिया और अब भी मेरा गला नहीं छोड़ते। मुझे अब अपने हाल पर मरने दीजिए। मैं इस गुलामी से तंग आ गया हूँ। मैं माँ के पीछे-पीछे चलने वाला बच्चा नहीं बनना चाहता। आप अपनी मोटर चाहते हैं-शौक से ले जाइए। मोटर की सवारी और बँगले में रहने के लिए पंद्रह आदमियों को कुरबान करना पड़ा। कोई जगह पा जाऊँ, तो