मणों में सिपाहियों का नष्ट होना हृदय-विदारक प्रतीत होता है।
मैं सकुशल हूँ। हाँ, परेशान तो बेशक बहुत अधिक हूँ।
परंतु मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि जितना अधिक मैं
सोचता हूँ, उतना ही अधिक मुझे व्यर्थ और फल-रहित
अनुभव के क्रियात्मक रूप में प्रकट न होने की खुशी होती
है। और, यह देखने से कुछ ढाढ़स बँधता है कि आप भी मेरे
विचारों से सहमत हैं।
मेरी इच्छा केवल इतनी ही है (जिसे और लोग संभवतः अब मालूम कर लेंगे) कि मुझे दिल्ली में दाखिल होने के सिवा और भी कुछ काम करना था।
विश्वास रखिए, मैं अब कोई अवसर हाथ से न जाने दूँगा।
कल हमने इन्हें खूब सज़ा दी, और पूरी हानि पहुँचाई।
इन्होंने किशनगंज और पहाड़पुर तथा ट्रेवलेनगंज में अपने
लिये स्थिर होने और तोपखाना जमाने की चेष्टा की थी,
परंतु हमने दो संक्षिप्त टुकड़ियों के द्वारा, जो मेजर टामस
एच० ए०, मेजर रीड मंसूरो बटालियन की कमान में थे, इन्हें
न सिर्फ़ इन स्थानों से खदेड़ दिया, बल्कि सराय के ऊपरी
भाग को इनसे क़तई साफ़ कर दिया, और नगर के इस
भाग से हमने इन सबको निकाल दिया। सुना है, इसका
इन पर बड़ा हिम्मत-तोड़ प्रभाव पड़ा, और वे बहुत
परेशान हो रहे हैं। परंतु फसीलों से जो गोला-बारी वे