पृष्ठ:ग़दर के पत्र तथा कहानियाँ.djvu/९५

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गदर के पत्र किया । परंतु आश्चर्य तो यह है कि उस समय भी गोलियां नहीं चलाई, ', जब सब स्त्री-पुरुष खंदक में उतर रहे थे । यद्यपि इस उत्तरने-चढ़ने में आध घंटा लग गया होगा। निदान, यह सब अँगरेज़ और इनकी स्त्रियाँ नदी के पार पहुँची, और वहाँ से सूखी-प्यासी और थकी हुई एक गांव में पहुँची, जो देहली से १२ मोल पर है। यहां के नंबरदार ने इन लोगों से प्रतिज्ञा की थी कि वह एक चिट्ठी मेरठ भेज देगा । निदान, मेरठ से तीसरे दिन कुछ फौज आई, और इस दल को मेरठ ले गई। लेफ्टिनेंट टेलर साहब और इंसाइन इब्जुलो भी भागे थे, किंतु वे किसी गाँव में मारे गए। अँगरेजों के कत्ल वनाश के बाद विद्रोहियों ने एक शाहजादे को तख्त पर बिठाया, और अपना चौकी-पहरा सब दरवाजों पर बिठा दिया। किले के चारो तरफ तो चढ़ा दी गईं। खजाना भी किले में ही रक्खा गया । क्योंकि विद्रोहियों का विचार था कि पहले अँगरेज हम पर आक्रमण करेंगे, तो इस स्थान को वे अंत तक न छोड़ेंगे। विद्रोहियों ने केवल अँगरेजों के ही साथ अत्याचार नहीं किया, किंतु शहरवालों के साथ भी वे अत्याचार किए कि ईश्वर ही रक्षा करे। देहली शहर सदैव से धनवान् प्रसिद्ध है। विद्रोही अच्छी तरह यह बात जानते थे, इसलिये उन्होंने इसे खूब लूटा । एक हिंदोस्तानी, जो इस बीच ( ३१ मई से २३ जून तक) दिल्ली में था, नगर का हाल इस प्रकार लिखता है-