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है। उसे किसी दूसरी जगह ठहराया जायगा। उसका सब सामान कमिश्नर साहब के पास भेज देना होगा। रात को वह बंगले पर था या नहीं?

दारोगा ने कहा-जी नहीं, रात मुझसे बहाना करके अपनी बीबी के पास चला गया था।

टेलीफ़ोन-तुम उसको क्यों जाने दिया ? हमको ऐसा डर लगता है, कि उसने जज से सब हाल कह दिया ! मुकदमा का जाँच फिर से होगा। आपसे बड़ा भारी 'ब्लंडर' हुआ है। सारा मेंहनत पानी में फिर गया। उसको जबरदस्ती रोक लेना चाहिए था।

दारोगा-तो क्या वह जज साहब के पास गया था ?

डिप्टी-हाँ साहब, वहीं गया था; और जज भी कायदा को तोड़ दिया। वह फिर से मुकदमा का पेशी करेगा। रमा अपना बयान बदलेगा। अब इसमें कोई 'डाउट' नहीं है। और यह सब आपका 'बंगलिंग' है। हम सब उस बाढ़ में बह जायेगा। जोहरा भी दगा दिया।

दारोगा उसी वक्त रमानाथ का सब सामान लेकर पुलिस कमिश्नर के बंगले की तरफ चले। रमा पर ऐसा गुस्सा आ रहा था, कि पायें तो समूचा ही निगल जायें ! कम्बख्त को कितना समझाया, कैसी-कैसी खातिर की; पर दगा कर ही गया। इसमें जोहरा की भी सांठ-गांठ है। बीबी को डांट फटकार करने का महज बहाना था। हिरा बेगम की तो आज ही खबर लेता हूँ। कहाँ जाती है। देवीदीन से भी समझूँगा।

एक हफ्ते तक पुलिस-कर्मचारियों में जो हलचल रही उसका जिक्र करने की कोई जरूरत नहीं। रात-की-रात और दिन-के-दिन इसी फिक्र में चक्कर खाते रहते थे। अब मुकदमे से कहीं ज्यादा अपनी फिक्र थी। सबसे ज्यादा घबराहट दारोगा को थी। बचने की कोई उम्मीद नहीं नजर आती थी। इंसपेक्टर और डिप्टी-दोनों ने सारी जिम्मेदारी उन्हीं के सिर डाल दी और खुद बिलकुल अलग हो गये।

इस मुकदसे की फिर पेशी होगी, इसकी सारे शहर में चर्चा होने लगी। अँगरेजी न्याय के इतिहास में यह घटना सर्वथा अभूतपूर्व थी। कभी ऐसा नहीं हुआ। वकीलों में इस पर कानूनी बहसे होतीं। जज साहब ऐसा कर भी सकते हैं ? मगर जज दृढ़ था। पुलिसवालों ने बड़े-बड़े जोर लगाये।

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