पृष्ठ:गीता-हृदय.djvu/३१२

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गीता-हृदय . है कि कमसे कम गीताकार तो पाडव पक्षका ही महत्त्व दिखाते है, दिखाना चाहते है, और हमे गीताके ही श्लोकोका प्रागय समझना है। महाभारतमें क्या स्थिति थी, इसका पता हमे दूसरी तरहसे तो है भी नहीं कि गीताके गन्दोको भी खीच-सांचकर उसी अर्थमें ले जायें । अतएव हमने जो अर्थ इम श्लोकका लिसा है वही ठीक और मुनासिब है। .