पृष्ठ:गीता-हृदय.djvu/३८०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

गीताधर्मका निष्कर्ष ३८७ गुणातीतकी दशा है । इसके चलते ही यदि कर्म सोलहो पाने छूट जाय, जैसे पेड़से पका फल गिर जाय, तो भी मस्ती ज्योकी त्यों रहती है । इसी मस्तीको हासिल करनेके ही लिये पहले धर्मोका सन्यास आवश्यक होता है, ऐनो गीताकी मान्यता है।