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पृष्ठ:गुप्त-धन 2.pdf/१२०

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गुप्त धन
 


दोस्तो, अपनी बेशर्मी और बेहयाई का पर्दा फाश करते हुए मेरे दिल को बड़ी सख्त तकलीफ हो रही है। मुझे उस वक़्त वासना ने इतना अधा बना दिया था कि मेरे कानों पर जूँ तक न रेगी। बोला--ऐसा मत खयाल करो लुईसा। मुहब्बत अपना असर जरूर पैदा करती है। तुम इस वक्त मुझे न चाहो लेकिन बहुत दिन न गुजरने पायेंगे कि मेरी मुहब्बत रग लायेगी। तुम मुझे स्वार्थी और कमीना समझ रही होगी, समझो। प्रेम स्वार्थी होता ही है, शायद वह कमीना भी होता है। लेकिन मुझे विश्वास है कि यह नफरत और बेरुखी बहुत दिनों तक न रहेगी। मैं अपने जानी दुश्मन को छोड़ने के लिए ज्यादा से ज्यादा क़ीमत लूँगा, जो मिल सके।

लुईसा पद्रह मिनट तक भीषण मानसिक यातना की हालत मे खड़ी रही। जब उसकी याद आती है तो जी चाहता है गले में छुरी मार लूँ। आखिर उसने आँसूभरी निगाहों से मेरी तरफ देखकर कहा--अच्छी बात है किरपिन, अगर तुम्हारी यही इच्छा है तो यही सही। तुम जो क़ीमत चाहते हो, वह मैं देने का वादा करती हूँ। मगर खुदा के लिए इस वक़्त जाओ, मुझे खूब जी भरकर रो लेने दो।

यह कहते-कहते कप्तान नाक्स फूट-फूटकर रोने लगे। मैने कहा--आपको यह दर्दभरी दास्तान कहने मे दुख हो रहा है तो जाने दीजिए।

कप्तान नाक्स ने गला साफ़ करके कहा--नही भाई, वह किस्सा पूरा तो करना ही पडेगा। उसके बाद एक महीने तक मै रोजाना लुईसा के पास जाता, और उसके दिल से अपने प्रतिद्वन्द्वी के खयाल को मिटाने की कोशिश करता। वह मुझे देखते ही कमरे से बाहर निकल आती, खुश हो-होकर बाते करती। यहाँ तक कि मैं समझने लगा कि उसे मुझसे प्यार हो गया है। इसी बीच योरोपियन लड़ाई छिड़ गई। हम और तुम दोनो लड़ाई पर चले गये। तुम फ्रास गये, मैं कमाण्डिंग अफसर के साथ मिस्र गया। लुईसा अपने चचा के साथ यही रह गयी। राजर्स भी उसके साथ रह गया। तीन साल तक मैं लाम पर रहा। लुईसा के पास से बराबर खत आते रहे। मैं तरक्की पाकर लेफ़्टिनेण्ट हो गया और कमाण्डिंग अफ़सर कुछ दिन और जिन्दा रहते तो जरूर कप्तान हो जाता। मगर मेरी बदनसीबी से वह एक लड़ाई में मारे गये। आप लोगों को उस लड़ाई का हाल मालूम ही है। उनके मरने के एक महीने बाद मैं छुट्टी लेकर घर लौटा। लुईसा अब भी अपने चचा के साथ ही थी। मगर अफसोस, अब न वह हुस्न था न वह जिन्दादिली, घुलकर कॉटा हो गयी थी। उस वक़्त मुझे उसकी हालत देखकर बहुत रज हुआ। मुझे अब मालूम हो गया कि उसकी मुहब्बत कितनी सच्ची और कितनी गहरी थी। मुझसे शादी का