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तॉगवाले की बड़
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करे। मैंने कहा—क्या करोगे। मामला तो बिलकुल साफ़ है। थाने ले जाइए और अगर दस मिनट मे कोई वारिस न पैदा हो तो माल आपका।

बस हुजूर, इस पेशे मे भी नित नये तमाशे देखने मे आते है। इन आँखों सब कुछ देखा है हुजूर। पर्दे पड़ते थे, जाजिमे बाँधी जाती थीं, घटाटोप लगाये जाते थे, तब जनानी सवारियाँ बैठती थी। अब हुजूर अजब हालत है, पर्दा गया हवा के बहाने से। इक्का कुछ सुखो थोड़े ही छोड़ा है। जिसको देखो यही कहता था कि इक्का नही तांगा लाओ, आराम को न देखा। अब जान को नहीं देखते और मोटर-मोटर, टैक्सी-टैक्सी पुकारते हैं। हुजूर हमे क्या, हम तो दो दिन के मेहमान रह गये है, खुदा जो दिखायेगा देख लेगे।

—जमाना, सितम्बर १९२६