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पृष्ठ:गुप्त-धन 2.pdf/१८६

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गुप्त वन
 

अपने ही सामने कर देना चाहती थी, इसलिए मेरी शादी हो गयी। लेकिन शादी को दस साल हो रहे है और भगवान की दया से माँ के आशीष की छाया अभी तक कायम है।

१९—तलाक देने को जी चाहता था इसलिए शादी की।

२०—मै मरीज रहता हूँ और कोई तीमारदार नहीं है इसलिए मैंने शादी कर ली।

२१—केवल सयोग से मेरा विवाह हो गया।

२२—जिस साल मेरी शादी हुई उस साल बहुत बड़ी सहालग थी। सबकी शादी होती थी, मेरी भी हो गयी।

२३—बिला शादी के कोई अपना हाल पूछनेवाला न था।

२४—मैने शादी नहीं की है, एक आफत मोल ले ली है।

२५—पैसेवाले चचा की अवज्ञा न कर सका।

२६—मै बुड्ढा होने लगा था, अगर अब शादी न करता तो कब करता।

२७—लोक-हित के खयाल से शादी की।

२८-पड़ोसी बुरा समझते थे इसलिए निकाह कर लिया।

२९—डाक्टरों ने शादी के लिए मजबूर किया।

३०—मेरी कविताओं की कोई दाद न देता था।

३१—मेरे दाँत गिरने लगे थे और बाल सफेद हो गये थे इसलिए शादी कर ली।

३२-फ़ौज मे शादीशुदा लोगों को तनख्वाह ज्यादा मिलती थी इसलिए मैंने भी शादी कर ली।

३३—कोई मेरा गुस्सा बर्दाश्त न करता था इसलिए मैंने शादी कर ली।

३४—बीवी से ज्यादा कोई अपना समर्थक नही होता इसलिए मैंने शादी कर ली।

३५—मै खुद हैरान हूँ कि शादी क्यो की।

३६—शादी भाग्य मे लिखी थी इसलिए कर ली।

इसी तरह जितने मुंह उतनी बाते सुनने मे आयी।

—जमाना, मार्च १९२७