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पृष्ठ:गुप्त-धन 2.pdf/२०६

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गुप्त धन
 


गाड़ी का किराया लेकर चले जायें, इन रईसो के फेर मे न पडे, यह लोग बारहों महीने इसी तरह बीमार रहते है। एक हफ्ते तक आकर एक बार देख लिया कीजिए।

डाक्टर साहब की समझ में यह बात आ गयी। कल फिर आने का वादा करके चले गये। लोगो के सिर से बला टली। खॉ साहब की कारगुजारी की तारीफें होने लगी।

कुँअर—खाँ साहब आप बड़े वक्त पर काम आये। जिन्दगी भर आपका एहसान मानूंगा।

खाँ—जनाब, दो सौ चटाने पडे। कहता था छोटे साहब का हुक्म है। मैं बिला पिचकारी लगाये न जाऊँगा। अग्रेजो का हाल तो आप जानते है। बात के पक्के होते है।

कुँअर—यह भी कह दिया न कि छोटे साहब को मेरी बीमारी की इत्तला कर दे और कह दे, वह सफर करने लायक नहीं है।

खाँ—हाँ साहब, और रुपये दिये किसलिए, क्या मेरा कोई रिश्तेदार था? मगर छोटे साहब को होगी बडी तकलीफ। बेचारे ने आपके बंगले के आसरे पर होटल का इतजाम भी न किया था। मामला वेढब हुआ।

कुँअर—तो भई, मैं क्या करता, आप ही सोचिए।

खाँ—यह चाल उल्टी पडी। जिस वक्त काटन साहब यहाँ आये थे, आपको उनसे मिलना चाहिए था। साफ कह देते, आज एक सख्त जरूरत से रुकना पड़ा। लेकिन खैर मैं साहब के साथ रहूँगा, कोई न कोई इंतजाम हो ही जायगा।

कुँअर—क्या अभी आप जाने का इरादा कर ही रहे हैं। हलफ़ से कहता हूं, मैं आपको न जाने दूंगा, यहाँ न जाने कैसी पडे, कैसी न पडे। मियाँ वाजिद देखो, आपके घर कहला दो, बाहर न जायेंगे।

खॉ—आप अपने साथ मुझे भी डुबाना चाहते है। छोटे साहब आपसे नाराज भी हो जाये तो क्या कर लेंगे, लेकिन मुझसे नाराज हो गये, तो खराव ही कर डालेंगे।

कुँअर—जब तक हम जिन्दा हैं भाई साहब, आपको कोई तिर्थी नजर से नहीं देख सकता। जाकर छोटे साहब से कहिए, कुँअर साहब की हालत अच्छी नहीं, मैं अब नहीं जा सकता। इसमें मेरी तरफ से भी उसका दिल साफ़ हो जायगा और आपकी दोस्ती देखकर आपकी और भी इज्जत करने लगेगा।

खाँ—अब वह इज्जत करे या न करे, जब आप इतना इसरार कर रहे है तो मैं भी इतना बे-मुरीवत नहीं हूँ कि आपको छोड़कर चला जाऊँ। यह तो हो ही