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कवच
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सम्मोहन और वशीकरण के जितने लटके है, उन सबो से परिचित हूँ, मगर जिन मंत्रो से मैने अब तक हमेशा विजय पायी है, वे सब इस अवसर पर निरर्थक सिद्ध हुए। अन्त को मैंने यही निश्चय किया कि यह कुआँ ही अन्धा है, इसमे प्यास को शान्त करने की सामर्थ्य नही। मगर शोक, कल मुझ पर इस निष्ठुरता और उपेक्षा का रहस्य खुल गया। आह! काश, यह रहस्य कुछ दिन और मुझसे छिपा रहता, कुछ दिन और मै इसी भ्रम, इसी अज्ञान अवस्था में पड़ता रहता।

राजा साहब का उदास चेहरा एकाएक कठोर हो गया, उन शीतल नेत्रो मे ज्वाला-सी चमक उठी, बोले—'देखिए, ये वह पत्र है, जो कल गुप्त रूप से मेरे हाथ लगे है। मैं इस वक्त इस बात की जाँच-पडताल करना व्यर्थ समझता हूँ कि ये पत्र मेरे पास किसने भेजे? उसे ये कहाँ मिले? अवश्य ही ये सरफराज की अहित कामना के इरादे से भेजे गये होगे। मुझे तो केवल यह निश्चय करना है कि ये पत्र असली है या नकली, मुझे तो उनके असली होने मे अणुमात्र भी सन्देह नही है। मैने सरफराज की लिखावट देखी है, उसकी बातचीत के अन्दाज़ से अनभिज्ञ नही हूँ, उसकी ज़बान पर जो वाक्य चढ़े हुए है, उन्हें खूब जानता हूँ। इन पत्रो मे वही लिखावट है, बाल बराबर भी फ़र्क नहीं, वही अन्दाज़ है, वही शैली है, वही वाक्य है। कितनी भीषण परिस्थिति है। इधर मै तो एक मधुर मुस्कान, एक मीठी अदा के लिए तरसता हूँ, उधर प्रेमियों के नाम प्रेमपत्र लिखे जाते है, वियोग- वेदना का वर्णन किया जाता है। मैने इन पत्रो को पढा है, पत्थर-सा दिल करके पढ़ा है, खून का घूँट पी-पीकर पढ़ा है और अपनी बोटियो को नोच-नोचकर पढ़ा है। आँखों से रक्त की बूंदे निकल-निकल आयी है। यह दगा! यह त्रिया- चरित्र!! मेरे महल में रहकर, मेरी कामनाजों को पैरों से कुचलकर, मेरी आशाओ को ठुकराकर ये क्रीड़ाएँ होती है! मेरे लिए खारे पानी की एक बूंद भी नहीं, दूसरे पर सुधा-जल की वर्षा हो रही है! मेरे लिए एक चुटकी भर आटा नहीं, दूसरे के लिए षट्रस पदार्थ परसे जा रहे है। तुम अनुमान नहीं कर सकते कि इन पत्रो को पढ़कर मेरी क्या दशा हुई।

'पहला उद्वेग जो मेरे हृदय में उठा, वह यह था कि इसी वक्त तलवार लेकर जाऊँ और उस बेदर्द के सामने यह कटार अपनी छाती मे भोक लूँ। उसी की आँखों के सामने एड़ियाँ रगड़-रगड़कर मर जाऊँ। शायद मेरे बाद मेरे प्रेम की कद्र करे, शायद मेरे खून के गर्म छीटे उसके वज्र-कठोर हृदय को द्रवित करते, लेकिन अन्तस्तल के न मालूम किस प्रदेश से आवाज आयी—यह सरासर नादानी