बढती जाती थी। मुझसे बार-बार पूछती, अब दर्द कैसा है और मैं अनमने ढग से कहता—अच्छा हूँ। उसकी नाजुक हथेलियो के स्पर्श से मेरे प्राणों में गुदगुदी होती थी। उसका वह आकर्षक चेहरा मेरे सर पर झुका है, उसकी गर्म साँसें मेरे माथे को चूम रही है और मै गोया जन्नत के मजे ले रहा हूँ। मेरे दिल मे अब उस पर फतेह पाने की ख्वाहिश अकोले ले रही है। मैं चाहता हूँ वह मेरे नाज़ उठाये। मेरी तरफ से कोई ऐसी पहल न होनी चाहिए जिससे वह समझ जाये कि मै उस पर लटू हो गया हूँ। चौबीस घटे के अन्दर मेरी मनःस्थिति मे कैसे यह क्रांति हो जाती है,
मैं क्योकर प्रेम के प्रार्थी से प्रेम का पात्र बन जाता हूँ। वह बदस्तूर उसी तल्लीनता से मेरे सिर पर हाथ रक्खे बैठी हुई है। तब मुझे उस पर रहम आ जाता है और मैं भी उस एहसास से बरी नही हूँ मगर इस माशूकी मे आज ओ लुत्फ आया उस पर आशिकी निछावर है। मुहब्बत करना गुलामी है, मुहब्बत किया जाना बादशाहत।
मैने दया दिखलाते हुए कहा—आपको मेरी वजह से बड़ी तकलीफ हुई।
उसने उमगकर कहा—मुझे क्या तकलीफ हुई। आप दर्द से बेचैन थे और मै बैठी थी। काश यह दर्द मुझे हो जाता।
मैं सातवे आसमान पर उड़ा जा रहा था।
५ जनवरी—कल शाम को हम लखनऊ पहुँच गये। रास्ते मे हेलेन से सांस्कृतिक, राजनीतिक और साहित्यिक प्रश्नो पर खूब बाते हुई। ग्रेजुएट तो भग- बान की दया से मै भी हूँ और तब से फुर्सत के वक्त किताने भी देखता ही रहा हूँ, विद्वानो की सगत मे भी बैठा हूँ लेकिन उसके ज्ञान के विस्तार के आगे कदम-कदम पर मुझे अपनी हीनता का बोध होता है। हर एक प्रश्न पर उसकी अपनी राय है और मालूम होता है कि उसने छान-बीन के बाद वह राय क़ायम की है। उसके विपरीत मै उन लोगो मे हूँ जो हवा के साथ उडते है, जिन्हे क्षणिक प्रेरणाएँ उलट- पलटकर रख देती है। मैं कोशिश करता था कि किसी तरह उस पर अपनी अक्ल का सिक्का जमा दूं मगर उसके दृष्टिकोण मुझे बेज़बान कर देते थे। जब मैंने देखा कि ज्ञान-विज्ञान की बातों मे मैं उससे न जीत सकूँगा तो मैने एबीसीनिया और इटली की लडाई का जिक्र छेड दिया जिस पर मैने अपनी समझ मे बहुत कुछ पढा था और इगलैण्ड और फ़्रांस ने इटली पर जो दबाव डाला है उसकी तारीफ़ में मैंने अपनी सारी वाक्-शक्ति खर्च कर दी। उसने एक मुस्कराहट के साथ कहा—आपका