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गुप्त धन
 


यह खयाल है कि इगलैण्ड और फ्रास सिर्फ इंसानियत और कमजोर की मदद करने की भावना से प्रभावित हो रहे है तो आपकी गलती है। उनकी साम्राज्य-लिप्सा यह नही बर्दाश्त कर सकती कि दुनिया की कोई दूसरी ताकत फले-फूले। मुसोलिनी वही कर रहा है जो इँगलैण्ड ने कितनी ही बार किया है और आज भी कर रहा है। यह सारा बहुरूपियापन सिर्फ एबीसीनिया मे व्यावसायिक सुविधाएँ प्राप्त करने के लिए है। इंगलैण्ड को अपने व्यापार के लिए बाजारों की जरूरत है, अपनी बढ़ी हुई आबादी के लिए जमीन के टुकड़ों की जरूरत है, अपने शिक्षितों के लिए ऊँचे पदों की जरूरत है तो इटली को क्यो न हो। इटली जो कुछ कर रहा है ईमानदारी के साथ एलानिया कर रहा है। उसने कभी दुनिया के सब लोगों के भाईचारे का डका नहीं पीटा, कभी शाति का राग नहीं अलापा । वह तो साफ कहता है कि सघर्ष ही जीवन का लक्षण है। मनुष्य की उन्नति लडाई ही के जरिये होती है। आदमी के अच्छे गुण लड़ाई के मैदान मे ही खुलते हैं। सबकी बराबरी के दृष्टिकोण को वह पागलपन कहता है। वह अपना शुमार भी उन्ही बड़ी कौमों में करता है जिन्हें रगीन आबादियों पर हुकूमत करने का हक है। इसलिए हम उसकी कार्य-प्रणाली को समझ सकते है। इंगलैण्ड ने हमेशा धोखेबाजी से काम लिया है। हमेशा एक राष्ट्र के विभिन्न तत्वो मे भेद डालकर या उनके आपसी विरोधों को राजनीति का आधार बनाकर उन्हें अपना पिछलग्गू बनाया है। मैं तो चाहती हूँ कि दुनिया में इटली, जापान और जर्मनी खूब तरक्की करें और इंगलैण्ड का आधिपत्य टूटे। तभी दुनिया में असली जनतत्र और शान्ति पैदा होगी। वर्तमान सभ्यता जब तक मिट न जायेगी, दुनिया मे शाति का राज्य न होगा। कमजोर कौमों को जिन्दा रहने का कोई हक नहीं, उसी तरह जिस तरह कमजोर पौधों को। सिर्फ इसलिए नहीं कि उनका अस्तित्व स्वयं उनके लिए कष्ट का कारण है बल्कि इसलिए कि वही दुनिया के इस झगड़े और रक्तपात के लिए जिम्मेदार है।

मैं भला क्यों इस बात से सहमत होने लगा। मैंने जबाब तो दिया और इन विचारों का इतने ही जोरदार शब्दो में खडन भी किया। मगर मैंने देखा कि इस मामले में वह संतुलित बुद्धि से काम नहीं लेना चाहती या नहीं ले सकती।

स्टेशन पर उतरते ही मुझे यह फ़िक्र सवार हुई कि हेलेन को अपना मेहमान कैसे बनाऊँ। अगर होटल में ठहराऊँ तो भगवान जाने अपने दिल मे क्या कहे। अगर अपने घर ले जाऊँ तो शर्म मालूम होती है। वहाँ ऐसी रुचि-सम्पन्न और