बात पर उसके कदमों को पकड़कर सीने से लगा लूं और आँसुओ से तर कर दूं।
होटल में पहुंचे। मेरा कमरा अलग था। खाना हमने साथ खाया और थोडी देर तक वही हरी-हरी घास पर टहलते रहे। खिलाड़ियों को कैसे चुना जाय, यही सवाल था। मेरा जी तो यही चाहता था कि सारी रात उसके साथ टहलता रहूँ लेकिन उसने कहा—आप अब आराम करें, सुबह बहुत काम है। मैं अपने कमरे में जाकर लेट रहा मगर सारी रात नीद नही आयी। हेलेन का मन अभी तक मेरी आँखों से छिपा हुआ है, हर क्षण वह मेरे लिए पहेली होती जा रही है।
१२ जनवरी—आज दिन भर लखनऊ के क्रिकेटरों का जमाव रहा। हेलेन दीपक थी और पतिगे उसके गिर्द मॅडरा रहे थे। यहाँ से मेरे अलावा दो लोगो का खेल हेलेन को बहुत पसद आया—बृजेन्द्र और सादिक। हेलेन उन्हे आल इंडिया टीम मे रखना चाहती थी। इसमे कोई शक नही कि दोनो इस फन के उस्ताद है लेकिन उन्होने जिस तरह शुरुआत की है उससे तो यही मालूम होता है कि वह क्रिकेट खेलने नही अपनी किस्मत की बाजी खेलने आये है। हेलेन किस मिजाज की औरत है, यह समझना मुश्किल है। बृजेन्द्र मुझसे ज्यादा सुन्दर है यह मै स्वीकार करता हूँ, रहन-सहन से पूरा साहब है। लेकिन पक्का शोहदा, लोफर। मैं नहीं चाहता कि हेलेन उससे किसी तरह का सबब रक्खे। अदब तो उसे छू नहीं गया। बदजबान परले सिरे का, बेहूदा गन्दे मजाक, बातचीत का ढंग नही और मौके-महल की समझ नहीं। कभी-कभी हेलेन से ऐसे मतलब-भरे इशारे कर जाता है कि मै शर्म से सिर झुका लेता हूँ लेकिन हेलेन को शायद उसका बाजारूपन, उसका छिछोरापन महसूस नहीं होता। नही, बह शायद उसके गदे इशारों का मजा लेती है। मैने कभी उसके माथे पर शिकन नहीं देखी। यह मैं नहीं कहता कि यह हँसमुखपन कोई बुरी चीज़ है, न जिन्दादिली का मैं दुश्मन हूँ लेकिन एक लेडी के साथ तो अदब और कायदे का लिहाज रखना ही चाहिए।
सादिक एक प्रतिष्ठित कुल का दीपक है, बहुत ही शुद्ध-आचरण, यहाँ तक कि उसे ठण्डे स्वभाव का भी कह सकते है, बहुत धमंडी, देखने में चिडचिडा लेकिन अब वह भी शहीदों में दाखिल हो गया है। कल आप हेलेन को अपने शेर सुनाते