७ फ़रवरी—शुक्र है दिल्ली मे हमारा प्रयत्न सफल हुआ। हमारी टीम मे तीन नये खिलाड़ी जुडे—जाफर, मेहरा और अर्जुन सिंह। आज उनके कमाल देखकर आस्ट्रेलियन क्रिकेटरों की धाक मेरे दिल से जाती रही। तीनो गेद फेकते है। जाफ़र अचूक गेद फेकता है, मेहरा सब्र की आजमाइश करता है और अर्जुन बहुत चालाक है, तीनों दृढ स्वभाव के लोग है, निगाह के सच्चे और अथक । अगर कोई इन्साफ़ से पूछे तो मैं कहूँगा कि अर्जुन मुझसे बेहतर खेलता है। वह दो बार इंगलैण्ड हो आया है। अंग्रेजी रहन-सहन से परिचित है और मिजाज पहचानने-बाला भी अब्बल दर्जे का है, सभ्यता और आचार का पुतला। बृजेन्द्र का रग फीका पड़ गया। अब अर्जुन पर खास कृपा-दृष्टि है और अर्जुन पर फ़तह पाना मेरे लिए आसान नहीं है, मुझे तो डर है वह कहीं मेरी राह का रोडा न बन जाये।
२५ फरवरी—हमारी टीम पूरी हो गयी। दो प्लेयर हमे अलीगढ से मिले,तीन लाहौर से और एक अजमेर से और कल हम बम्बई आ गये। हमने अजमेर, लाहौर और दिल्ली में वहाँ की टीमों से मैच खेले और उन पर बड़ी शानदार फतह पायी। आज बम्बई की हिन्दू टीम से हमारा मुकाबला है और मुझे यकीन है कि मैदान हमारे हाथ रहेगा। अर्जुन हमारी टीम का सबसे अच्छा खिलाडी है और हेलेन उसकी इतनी खातिरदारी करती है कि मुझे जलन नहीं होती। इतनी खातिरदारी तो मेहमान की ही की जा सकती है। मेहमान से क्या डर। मजे की बात यह है कि हर व्यक्ति अपने को हेलेन का कृपा-पात्र समझता है और उससे अपने नाज उठवाता है। अगर किसी के सिर मे दर्द है तो हेलेन का फर्ज है कि उसकी मिजाजपुर्सी करे, उसके सर में चदन तक घिसकर लगा दे। मगर उसके साथ ही उसका रोब हर एक के दिल पर इतना छाया हुआ है कि कोई उसके किसी काम की आलोचना करने का साहस नहीं कर सकता। सब के सब उसकी मर्जी के गुलाम है। वह अगर सबके नाज़ उठाती है तो हुकूमत भी हर एक पर करती है। शामिथाने मे एक से एक सुन्दर औरतों का जमवट है मगर हेलेन के कैदियों की मजाल नहीं कि किसी की तरफ देखकर मुस्करा भी सके। हर एक के दिल पर ऐसा डर छाया रहता है कि जैसे वह हर जगह पर मौजूद है। अर्जुन ने एक मिस पर यूं ही कुछ नजर डाली थी, हेलेन ने ऐसी प्रलय की आँख से उसे देखा कि सरदार साहब का रंग उड़ गया। हर एक समझता है कि वह उसकी तकदीर की मालिक