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क्रिकेट मैच
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की पराजयों से निराश होकर वही इंगलैंड मे आत्म-हत्या कर ली। उसकी वह सूरत अब भी हमारी आँखों के सामने फिर रही है।

सब ने कहा—खूब अच्छी तरह, अभी बात ही के दिन की है।

'आज इस शानदार कामयाबी पर मैं आपको बधाई देती हूँ। भगवान ने चाहा तो अगले साल हम इँगलैण्ड का दौरा करेगे। आप अभी से इस मोर्चे के लिए तैयारियों कीजिए। लुत्फ तो जब है कि हम वहाँ एक मैच भी न हारे, मैदान बराबर हमारे हाथ रहे। दोस्तो, यही मेरे जीवन का लक्ष्य है। किसी लक्ष्य को पूरा करने के लिये जो काम किया जाता है उसी का नाम जिन्दगी है। हमें कामयाबी वहीं होती है जहाँ हम अपने पूरे हौसले से काम में लगे हो, वही लक्ष्य हमारा स्वप्न हो, हमारा प्रेम हो, हमारे जीवन का केन्द्र हो। हममे और इस लक्ष्य के बीच में और कोई इच्छा, कोई आरजू दीवार की तरह न खड़ी हो। माफ कीजिएगा आपने अपने लक्ष्य के लिए जीना नही सीखा। आपके लिए क्रिकेट सिर्फ एक मनोरजन है। आपको उससे प्रेम नहीं। इसी तरह हमारे सैकड़ो दोस्त है जिनका दिल कही और होता है, दिमाग कही और, और वह सारी जिन्दगी नाकाम रहते है। आपके लिए मैं ज्यादा दिलचस्पी की चीज थी, क्रिकेट तो सिर्फ मुझे खुश करने का जरिया था। फिर भी आप कामयाब हुए। मुल्क मे आप जैसे हजारो नौजवान है, जो अगर किसी लक्ष्य की पूर्ति के लिए जीना और मरना सीख जायँ तो चमत्कार कर दिखाये। जाइए और वह कमाल हासिल कीजिए। मेरा रूप और मेरी राते वासना का खिलौना बनने के लिए नहीं है। नौजवानों की आँखो को खुश करने और उनके दिलो में मस्ती पैदा करने के लिए जीना मैं शर्मनाक समझती हूँ। जीवन का लक्ष्य इससे कहीं ऊचा है। सच्ची जिन्दगी वही है जहाँ हम अपने लिए नहीं सबके लिए जीते है।'

हम सब सिर झुकाये सुनते रहे और झल्लाते रहे । हेलेन कमरे से निकलकर कार पर जा बैठी। उसने अपने रवानगी का इन्तजाम पहले ही कर लिया था। इसके पहले कि हमारे होश-हवास सही हो और हम परिस्थिति समझे, वह जा चुकी थी।

हम सब हफ्ते भर तक बम्बई की गलियो, होटलों, बँगलो की खाक छानते रहे, हेलेन कही न थी। और ज्यादा अफ़सोस यह है कि उसने हमारी ज़िन्दगी का जो आइडियल रखा वह हमारी पहुँच से ऊँचा है। हेलेन के साथ हमारी जिन्दगी का सारा जोश और उमग खत्म हो गयी।

—जमाना, जुलाई १९३७