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पृष्ठ:गुप्त-धन 2.pdf/७०

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गुप्त धन
 

चिनगारियाॅ निकलने लगी। धीरज हाथ से छूटा जा रहा था। मगर कहरे दरवेश बर जाने दरवेश (भिखारी का गुस्सा अपनी जान पर) के मुताबिक सर झुकाकर खडा रहा। जितनी दलीले दिमाग मे कई दिनो से चुन-चुनकर रखी थी, सब धरी रह गयी। बहुत सोचने पर भी कोई नया पहलू ध्यान मे न आया। यो खुदा के फ़जल से बेवकूफ या कुन्दजेहन नही हूँ, अच्छा दिमाग पाया है। इतने सोच-विचार से कोई अच्छी-सी गजल हो जाती। पर तबीयत ही तो है, न लडी। इनफाक से जेब मे हाथ डाला तो अचानक याद आ गया कि सिफारिशी खतो का एक पोथा भी साथ लाया हूँ। रोब का दिमाग पर क्या असर पड़ता है इसका आज तजुर्वा हो गया। उम्मीद से चेहरा फूल की तरह खिल उठा। खतो का पुलिन्दा हाथ में लेकर बोला--हुजूर, यह चन्द खत है, इन्हे मुलाहिजा फरमा ले।

बड़े बाबू ने बण्डल लेकर मेज़ पर रख दिया और उस पर एक उड़ती हुई नजर डालकर बोले--आपने अब तक इन मोतियों को क्यो छिपा रक्खा था?

मेरे दिल मे उम्मीद की खुशी का एक हंगामा बरपा हो गया। जबान जो बन्द थी, खुल गयी। उमग से बोला--हुजूर की शान-शौकत ने मुझ पर इतना रोब डाल दिया और कुछ ऐसा जादू कर दिया कि मुझे इन खतो की याद न रही। हुजूर से मैं बिना नमक-मिर्च लगाये सच-सच कहता हूँ कि मैने इनके लिए किसी तरह की कोशिश या सिफारिश नही पहुँचायी। किसी तरह की दौड-भाग नहीं की।

बडे बाबू ने मुस्कराकर कहा--अगर आप इनके लिए ज्यादा से ज्यादा दौड-भाग करने मे भी अपनी ताकत खर्च करते तो भी मै आपको इसके लिए बुरा-भला न कहता। आप बेशक बडे खुशनसीब है कि यह नायाब चीज आपको बेमाॅगे मिल गयी इसे जिन्दगी के सफर का पासपोर्ट समझिए। वाह, आपको खुदा के फजल से एक से एक कद्रदान नसीब हुए। आप जहीन है, सीधे-सच्चे है, बेलोस है, फ़र्माबिरदार है। ओफ्फ़ोह आपके गुणो की तो कोई इन्तहा ही नहीं है। कसम खुदा की, आपमे तो तमाम भीतरी और बाहरी कमाल भरे हुए है। आपमे सूझ-बूझ, गम्भीरता, सच्चाई, चौकसी, कुलीनता, शराफत, बहादुरी सभी गुण मौजूद है। आप तो नुमाइश मे रखे जाने क़ाबिल मालूम होते है कि दुनिया आपको हैरत की निगाह से देखे और दांतो तले उँगली दबाये। आज किसी भले का मुँह देखकर उठा था कि आप जैसे पाकीजा आदमी के दर्शन हुए। यह वे गुण है जो जिन्दगी के हर एक मैदान मे आपको शोहरत की चोटी तक पहुँचा सकते है। सरकारी नौकरी आप जैसे गुणियों की शान के काबिल नहीं। आपको यह कब गवारा होगा। इस दायरे में