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गुप्त धन
 

तमद्दुनी असरो का बिलकुल गायब हो जाना जरूरी है। मुझे आपके चेहरे से मालूम हो रहा है कि इस समझाने पर भी आप मेरा मतलब नही समझ सके। सुनिए, आप गालिबन मुसलमान है। शायद आप अपने अकीदों मे बहुत पक्के भी हों। आप नमाज और रोजे के पाबन्द है?

मैने फख्र से कहा--मैं इन चीज़ो का उतना ही पाबन्द हूँ जितना कोई मौलवी हो सकता है। मेरी कोई नमाज़ कजा नहीं हुई। सिवाय उन वक्तो के जब मै बीमार था।

बडे बाबू ने मुस्कराकर कहा--यह तो आपके अच्छे अखलाक ही कहे देते हैं। मगर इस दायरे मे आकर आपको अपने अकीदे और अमल मे बहुत कुछ काट-छाॅट करनी पड़ेगी। यहाॅ आपका मज़हब मजहबियत का जामा अख्तियार करेगा। आप भूलकर भी अपनी पेशानी को किसी के सामने सिजदे मे न झुकाये, कोई बात नहीं। आप भूलकर भी जकात के झगड़े मे न फँसे, कोई बात नहीं। लेकिन आपको अपने मजहब के नाम पर फरियाद करने के लिए हमेशा आगे-आगे रहना और दूसरो को आमादा करना होगा। अगर आपके जिले मे दो डिप्टी कलक्टर हिन्दू है और मुसलमान सिर्फ़ एक, तो आपका फ़र्ज होगा कि हिज़ एक्सेलेसी गवर्नर की खिदमत मे एक डेपुटेशन भेजने के लिए क़ौम के रईसों को आमादा करे। अगर आपको मालूम हो कि किसी म्युनिसिपैलिटी ने क़साइयों को शहर से बाहर दुकान रखने की तजवीज़ पास कर दी है तो आपका फर्ज़ होगा कि क़ौम के चौवरियों को उस म्युनिसिपैलिटी का सिर तोड़ने के लिए तहरीक करे। आपको सोते-जागते, उठते-बैठते जाति-प्रेम का राग अलापना चाहिए। मसलन इम्तहान के नतीजो में अगर आपको मुसलमान विद्यार्थियों की संख्या मुनासिब से कम नजर आये तो आपको फ़ौरन चांसलर के पास एक गुमनाम खत लिख भेजना होगा कि इस मामले मे जरूर ही सख्ती से काम लिया गया है। यह सारी बाले उसी इनटुइशन-बाली शर्त के भीतर आ जाती है। आपको साफ-साफ शब्दो मे या इशारों से यह काम करने के लिए हिदायत न की जायगी। सब कुछ आपकी सूझ-बूझ पर मुनहसर होगा। आपमें यह जौहर होगा तो आप एक दिन जरूर ऊँचे ओहदे पर पहुँचेंगे। आपको जहाँ तक मुमकिन हो, अग्रेज़ी में लिखना और बोलना पड़ेगा। इसके बगैर हुक्काम आपसे खुश न होंगे। लेकिन क़ौमी ज़बान की हिमायत और प्रचार की सदा आपकी ज़बान से बराबर निकलती रहनी चाहिए। आप शौक से अखबारों का चन्दा हज़म करे, मँगनी की किताबे पढ़े, चाहे वापसी के वक्त किताब के फट-चिँथ जाने