हिन्दी-भाषा
अमीर खुसरू यों कहे तू बता पहली मोरी ।
यह मोरीहीकी पहेली है। बरसातमें चार महीने मोरी अधिक
चलती है। बाकी आठ महीने कम।।
दिल्ली प्रान्तमें आपाढ़से वर्षा ऋतुका आरम्भ होता है। श्रावणमें
चारों ओर हरयाली फैल जाती है। तब वर्षाका यौवन होता है। इसीसे
श्रावण सुदी ३ को उधर हरयाली तीजका बड़ा भारी मेला होता है।
श्रावणमें झूले पड़ते हैं । खम्ब गड़ते हैं या पेड़ों में और मकानोंकी छतों-
में झूले डाले जाते हैं। इनमें झूलते तो पुरुप भी हैं पर बहुत कम ।
स्त्रियोंका त्यौहार है, सब स्त्रियाँ मिलकर झूलती हैं। कभी कभी पूरे एक
महीने झूलनेको फमल रहती है। बहुधा हरयाली तीजके पीछे झूलना
बन्द हो जाता है। झलते समय स्त्रियाँ बहुतसे गीत गाती हैं। उनमें
अमीर खुसम्के बनाये भो गीत हैं। छः सौ सालसे अधिक बीत गये
अबतक हर वरमातमें गाये जाते हैं। एक गीत हैं -
जो पिया आवन कह गये अजहुँ न आये स्वामी हो
ए हो जो पिया आवन कह गये ।
मावन आवन कह गये आये न बारहमास,
ए हो जो पिया आवन कह गये।
यह तो बड़ी बड़ी स्त्रियोंके गानेका गीत हुआ। छोटी छोटी लड़-
कियोंको पिया और स्वामीके गीत शोभा नहीं देते । पर सावनकी उमंग-
में कुछ गाना तो उनको भी चाहिये। इसीसे उन्होंके योग्य गीत बनाये ।
एक लड़की मानो ससुरालमें है। वर्षा ऋतु है। वह झूलती हुई माता-
पिताको याद करती है-
अम्मा मेरे बाबलको भेजोरी, कि सावन आया।
बेटी तेरा बाबल तो बूढारी, कि सावन आया।
अम्मा मेरे भाईको भेजोरी, कि सावन आया।
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पृष्ठ:गुप्त-निबन्धावली.djvu/१४२
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