पृष्ठ:गुप्त-निबन्धावली.djvu/१८

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गुप्त-निबन्धावली चरित-चर्चा पं० प्रतापनारायण मिश्र सन्दी-साहित्यके आकाशमें हरिश्चन्द्रके उदय होनेके थोड़ेही |दिन पश्चात् एक ऐसा चमकता हुआ तारा उदय हुआ था, जिसकी चमक-दमकको देखकर लोग उसे दूसरा चन्द्र कहने लगे थे। उस चन्द्रके अस्त हो जानेके पश्चात् इस तारेकी ज्योति और बढ़ी। बड़े हर्षके साथ कितनोहीके मुखसे यह ध्वनि निकलने लगी कि यही उस चन्द्रको जगह लेगा। पर दुःखकी बात है कि वैसा होनेसे पहलेही कुछ दिन बाद यह उज्ज्वल नक्षत्र भी अस्त हो गया। इसका नाम पण्डित प्रतापनारायण मिश्र था। हरिश्चन्द्रके जन्मसे ६ साल पीछे आश्विन बदी ६ संवत् १९१३ विक्रमाब्दको प्रतापका जन्म हुआ और उनकी मृत्युसे प्रायः दस साल पीछे आषाढ़ सुदी ४ संवत् १६५१ को शरीरान्त हुआ। हरिश्चन्द्रजी ३४ साल जिये और प्रतापनारायण ३८ साल। ___ पण्डित प्रतापनारायण मिश्रमें बहुत बातें बाबू हरिश्चन्द्रकीसी थीं। कितनीही बातोंमें यह उनके बराबर और कितनीहीमें कम थे ; पर एक आघमें बढ़कर भी थे। यह सब बातें आगे चलकर स्वयं पाठकोंकी