पृष्ठ:गुप्त-निबन्धावली.djvu/१९८

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बनाम लार्ड कर्जन बाद आपका इससे कुछ सम्बन्ध रहे। किन्तु जितने दिन आपके हाथमें शक्ति है, उतने दिन कुछ करनेकी शक्ति भी है। जो कुछ आपने दिल्ली आदिमें कर दिखाया उसमें आपका कुछ भी न था, पर वह सब कर दिखानेकी शक्ति आपमें थी। उसी प्रकार जानसे पहले, इस दशके लिये कोई असली काम कर जानकी शक्ति आपम है। इस दशकी प्रजाके हृदयम कोई स्मृति-मन्दिर बना जानकी शक्ति आपमं है। पर यह सब तब हो सकता है, कि वैसी स्मृतिकी कुछ कदर आपके हृदयमें भी हो। स्मरण रहे धातुकी मृतियोंके स्मृतिचिन्हसे एक दिन किलेका मैदान भर जायगा। महारानीका स्मृति- मन्दिर मैदानकी हवा रोकता था या न रोकता था, पर दूसरोंकी मूर्तियां इतनी हो जावंगी कि पचास पचास हाथपर हवाको टकराकर चलना पड़ेगा। जिस देशमें लार्ड लैंसडौनकी मूर्ति बन सकती है, उसमें और किस किसकी मूर्ति नहीं बन सकती ? माई लार्ड ! क्या आप भी चाहते हैं कि उसके आसपास आपकी एक वैसीही मूर्ति खड़ी हो ? ____ यह मूर्तियां किस प्रकारके स्मृतिचिन्ह हैं ? इस दरिद्र देशके बहुत- से धनकी एक ढेरी है, जो किसी काम नहीं आ सकती। एक बार जाकर देखनेसे ही विदित होता है कि वह कुछ विशेष पक्षियोंके कुछ देर विश्राम लेनेके अड्डे से बढ़कर कुछ नहीं है । माई लार्ड ! आपकी मूर्तिकी वहां क्या शोभा होगी ? आइये मूर्तियां दिखावं। वह देखिये एक मूर्ति है, जो किलेके मैदानमें नहीं है, पर भारतवासियोंके हृदयमें बनी हुई है । पहचानिये, इस वीर पुरुषने मैदानकी मूर्तिसे इस देशके करोड़ों गरीबोंके हृदयमें मूर्ति बनवाना अच्छा समझा। यह लार्ड रिपनकी मूर्ति है। और देखिये एक स्मृतिमन्दिर, यह आपके पचास लाखके सङ्गमर्मरवालेसे अधिक मजबूत और सैकड़ों गुना कीमती है। यह स्वर्गीया विकोरिया महारानीका सन् १८५८ ई० का घोषणापत्र है। [ १८१ ]