गुप्त-निबन्धावली
चिह्र
और खत
बनवा दगे, जिसको देखतेही लोग जान जावंगे कि महारानी वह थीं
जिनका यह स्मारक है।
बहुत बात हैं। सबको भारतवासी अपने छोटे दिमागोंमें नहीं ला
सकते । कौन जानता है कि श्रीमान् लार्ड कर्जनके दिमागमें कैसे-कैसे
आली खयाल भरे हुए हैं । आपने स्वयं फरमाया था कि बहुत बातोंमें
हिन्दुस्थानी अंग्रेजोंका मुकाबिला नहीं कर सकते। फिर लार्ड कर्जन तो
इंग्लैण्डके रत्न हैं। उनके दिमागकी बराबरी कर गुस्ताखी करनेकी
यहाँके लोगोंको यह बूढ़ा भंगड़ कभी सलाह नहीं दे सकता। श्रीमान
कैसे आली दिमागशासक हैं, यह बात उनके उन लगातार कई व्याख्यानों-
से टपकी पड़ती है, जो श्रीमानने विलायतमें दिये थे और जिनमें विलायत
वासियोंको यह समझानेकी चेष्टा को थो कि हिन्दुस्थान क्या वस्तु है ?
आपने साफ दिखा दिया था कि विलायतवासी यह नहीं समझ सकते
कि हिन्दुस्थान क्या है ! हिन्दुस्थानको श्रीमान स्वयं ही समझे हैं । विला-
यतवाले समझते तो क्या समझते ? विलायतमें उतना बड़ा हाथी कहां
जिसपर वह चंवर छत्र लगाकर चढ़े थे ? फिर कैसे समझा सकते कि
वह किस उच्च श्रेणीके शासक हैं ? यदि कोई ऐसा उपाय निकल सकता,
जिससे वह एक बार भारतको विलायत तक खींच ले जा सकते तो
विलायतवालोंको समझा सकते कि भारत क्या है और श्रीमान्का शासन
क्या ? आश्चर्य नहीं, भविष्यमें ऐसा कुछ उपाय निकल आवे । क्योंकि
विज्ञान अभी बहुत कुछ करेगा।
___ भारतवासी जरा भय न कर, उन्हें लार्ड कर्जनके शासनमें कुछ
करना न पड़ेगा। आनन्दही आनन्द है। चैनसे भंग पियो और मौज
उड़ाओ। नजीर खूब कह गया है-
कंडीके नकारे पे खुतकेका लगा डंका।
नित भंग पीके प्यारे दिन रात बजा डंका ।।
पर एक प्याला इस बूढ़े ब्राह्मणको देना भूल न जाना।
[
१८६ ]
पृष्ठ:गुप्त-निबन्धावली.djvu/२०३
Jump to navigation
Jump to search
यह पृष्ठ शोधित नही है
