पृष्ठ:गुप्त-निबन्धावली.djvu/२४८

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माली साहबके नाम खराबीमें डालेगा, जितना दक्षिण अफ्रीकामें चार साल पहले एक बुरी चाल चलकर खराबीमें पड़ चुके हैं।" आपने कहा है-“हिन्दुस्थानी कांग्रेसकी कामनाओंको सुनकर मैं घबराता नहीं ।” पर यह भी कहा–'जो बात विलायतको प्राप्त हैं, वह भारतको सब नहीं प्राप्त हो सकतीं।" आपकी इन दोरंगी बातोंसे भारतवासी बड़े घबराहटमें पड़ हैं। घबराकर उन्हें आपकं देशको दो कहावतोंका आश्रय लेना पड़ता है कि-राजनीतिज्ञ पुरुष युक्ति या न्यायकं पाबन्द नहीं होते अथवा राजनीतिका कुछ ठिकाना नहीं ! आपको अपनेही एक वाक्यकी ओर ध्यान देना चाहिये-"अपनी साधारण योग्यताक परिणामसेही कोई आदमी प्रसिद्ध या बड़ा नहीं हो सकता। वरञ्च उचित समयपर उचित काम करनाही उसे बड़ा बनाता है।” जिस पदपर आप हैं--उसकी जो कुछ इज्जत है, वह आपकी नहीं, उस पदकी है। लार्ड जार्ज हमिल्टन और मिस्टर ब्राडरिक भी इसी पदपर थे। पर इस पदसे उनकी इतनीही इज्जत थी कि वह इस पदपर थे। बाकी उनके कामोंक अनुसारही उनकी इज्जत है। आपका गौरव इस पदसे नहीं बढ़ना चाहिये । वरच आपके कामोंसे इस पदकी कुछ मय्यांदा बढ़नी चाहिये। __ भारतवासियोंने बहुत कुछ देखा और देख रहे हैं। इस देशके ऋषि-मुनि जब बनोंमें जाकर तप करते थे और यहाँके नरेश उनकी आज्ञासे प्रजापालन करते थे, वह समय भी देखा। फिर मुसलमान इस देशके राजा हुए और पुराना क्रम मिट गया, वह भी देखा। अब देख रहे हैं, सात समुद्र पारसे आई हुई एक जातिके लोग जो पहले बिसातीके रूपमें इस देशमें आये थे और छल बल और कौशलसे यहांके प्रभु बन गये। यह देश और यहाँकी स्वाधीनता उनकी मुट्ठीकी चिड़िया बन गई। और भी न जाने क्या क्या देखना पड़ेगा। पर संसारकी कोई २३१ ]