पृष्ठ:गुप्त-निबन्धावली.djvu/२६०

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शाइस्ताखांका खत जमाना तुम्हारे जैसा हाकिम क्यों आने देगा ? तुम तो हिन्दु मुसल- मानोंको लड़ा कर हुकूमत करनेकी बहादुरी समझते हो और इस वक्त मुसलमानोंके साथ बड़ी मुहब्बत जाहिर कर रहे हो। मगर तुम लोगोंकी मुहब्बत कलकत्तमें उस लाठके बनानेसे ही समझदार मुसल- मान समझ गये, जो तुम्हारा एक चलता अफसर सिराजुद्दौलाका मुंह काला करनेके लिये एक कयासी वकृपकी यादगारीके तौरपर बना गया है । मुसलमानोंसे तुम्हारी जैसी मुहब्बत है, उसे वह लाठ पुकार-पुकार कर कह रही है। ___ अखीरमें मैं तुमको एक दोस्ताना सलाह देता हूं कि खबरदार कभी पुराने जमानेको फिर लानेकी कोशिश न करना । तुम लोगोंको मैं सदा कमीने, झगड़ालू लोग और बेईमान बक्काल कहा करता । मेरे बाद भी तुम्हारे कामोंसे इम मुल्कके लोगोंको कभी मुहब्बत नहीं हुई। यहाँतक कि खुदाने तुम्हें इस मुल्कका मालिक कर दिया तो भो लोगोंका एतबार तुमपर न हुआ। हाँ, एक तुम्हारो जन्नतमकानी मलिका विक्टोरियाका जमाना ही ऐसा हुआ, जिसमें इस मुल्कके लोगोंने तुम लोगोंकी हुकूमतकी इज्जत की। क्योंकि उस मलिका मुअजमाने अदलसे इस मुल्कके लोगोंका दिल अपने हाथमें लिया। मैं नहीं चाहता कि तुम उस हासिल की हुई इज्जतको खोओ। रैयतके दिलमें इनसाफका सिक्का बैठता है, जुल्मका नहीं। जुल्मके लिये हम लोग बदनाम हो चुके, तुम क्यों बदनाम होते हो ? जुल्मका नतीजा हम भोग चुके हैं, पर तुम्हें उससे खबरदार करते हैं। अपने कामोंसे साबित कर दो कि तुम इन्सान हो. खुदातस हो, यहांकी रैयतको पालने आये हो, लोगोंको गिरी हालतसे उठाने आये हो । लोग यह न समझ कि मतलबी हो, नाखुदातर्स हो, अपने मतलबके लिये इस मुल्क- के लड़कोंको “बन्दये मादरम" कहनेसे भी बन्द करते हो! खयाल रखो कि दुनिया चन्दरोजा है । अखिर सबको उस दुनियासे [ २४३ ]