पृष्ठ:गुप्त-निबन्धावली.djvu/२६५

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गुप्त-निबन्धावली चिट्ठे और खत हमारे जमानेके ऐबोंको काममें लानेसे नहीं हिचकते । मगर उस जमाने- के हुनरोंकी नकल करनेकी तरफ खयाल नहीं दौड़ाते, क्योंकि वह टेढ़ी खीर है । कहाँ आठ मनके चावल और कहाँ हथियार बांधनेकी आजादी ! आठ मनके चावलोंकी जगह तुम खुश्कसाली और कहत छोड़कर जाते हो। हथियारोंकी आजादोकी जगह दस आदमियोंका मिलकर निकलना . मजलिस करना और 'वन्देमातरम्' कहना बन्द किये जाते हो। अरे यार । इतना तो सोचा होता कि पिञ्जरमें भी चिड़िया बोल सकती है। कैदमें भी जबान कैद नहीं होती। तुमने गजब किया लोगोंका मुंहतक सी दिया था। ___ और भी अहलेजन्नतने एक वातपर गौर किया है। वह यह कि किस भरोसेपर तुम अपने सूबेक लोगोंको मेरे जमानेमें फेंक देनेकी जुर- अत करते थे। इसकी वजह सुनिये। तुम खूब जानते हो कि तुम्हारी डेढ़ सौ सालकी हुकूमतने तुम्हारे सूबेके लोगोंको कुछ भी आगे नहीं बढ़ाया। वह करीब-करीब दो सौ साल पहलेके जमानेहीमें हैं। तुम उनको बढ़ाते तो आज वह तुमसे किसी बातमें सिवा चमड़के रङ्गके कम न होते। पर तुमने उन्हें वहीं रखा, बल्कि उनकी कुछ पुरानी खूबियां छीन ली और पुराने-पुराने हुकूक जब्त कर लिये। दी थी कुछ तालीम और कुछ नौकरियां, उन्हींको छोनकर तुम उन्हें औरङ्गजेबके जमाने में फंकना चाहते थे, वरना और दिया ही क्या था, जो छीनते और बढ़ाया ही क्या था, जो घटाते ? ___ अपनी दस महीनेकी नवाबीसे तुम खुद तङ्ग आगये थे। इसीसे कयास करलो कि गरीब रैयतको कैसी तकलीफ हुई होगी। सब तुम्हारे जानेसे खुश हैं । ताहम खुशकिस्मतीसे हमारी मरहूम कौम रोनेको तैयार है। उसे तुम प्यारी बेगम कहकर बेवा बना चले हो। वह तुम्हारे फिराकमें टिसवे बहाती है । तुम्हें घरतक पहुंचा देनेमें वह टिसवे तुम्हारी [ २४८ ]