पृष्ठ:गुप्त-निबन्धावली.djvu/२९६

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उर्दू-अखबार वर्षकी जरूरी जरूरी राजनीतिक बात खाली हिन्दुस्तानीको पढ़कर जान सकते हैं। ऐसी दशामें जब हम यह कहते हैं कि हिन्दुस्तानी उद्रूमें अपने ढङ्गका एक ही अखबार है, तो इसमें कुछ भी अत्युक्ति नहीं होती। हिन्दुस्तानीमें और कई एक गुण हैं जो दूसरे अखबार में कम हैं। वह जो कुछ लिखता है, बड़ी स्वाधीनतासे बेधड़क लिखता है। वह सभ्यताका बड़ा खयाल रखता है। कोई कुरुचिपूर्ण खबर या लेख हमने कभी उसमें नहीं देग्या । वह जब लिखता है, अच्छी बात लिखता है और अच्छे ढंगसे लिखता है । किमीसे कभी लड़ाई-झगड़ा नहीं करता। जो अखबार उसके माथ छेडछाड करते हैं, यदि जरूरत पड़े तो उनका उत्तर देता है, नहीं तो चुप हो जाता है। उद अखबारोंको खानाजंगी करनेकी बड़ी आदत है। जो अखबार मुसलमानोंके हाथमें हैं, वह मुसलमानोंको व्यर्थ हिमायत करके हिन्दुओंको गालियां दिया करते हैं । उससे मुसलमानोंका कुछ लाभ नहीं होता। हां, हानि ग्वब होती है। क्योंकि उससे मुसलमानोंका हिन्दुओंकी और और हिन्दुओंका मुसल- मानोंकी ओरसे जो ग्वट्टा होता है। इसी प्रकार हिन्दुओंके कुछ पत्र मुसलमानोंके कुछ न कुछ विरुद्ध लिखा करते हैं । अपनी समझमें वह ऐसा करके हिन्दुओंके साथ कुछ मित्रता करते होंगे, पर असलमें वह हिन्दुओंहीके दुश्मन हैं । “हिन्दुस्तानी" ऐसे मामलोंमें सदा बेलाग रहता है । जो बात उचित होती है, वही लिखता है । यद्यपि इससे कई एक मुसलमानो अखबारोंका मिजाज नहीं बदला, तथापि जब कभी उनमें समझ आवेगी, वह आपसे आप समझ जायंगे कि दूसरेकी बुराई करनेसे अपनी भलाई कभी नहीं हो सकती। और यह भी किसी दिन वह समझ जायंगे कि हिन्दुओंके साथ मिलकर चलनेमें मुसलमानोंका लाभ है, अलग रहनेमें नहीं। हिन्दुस्तानीके साथ-साथ और भी कईएक कागज ऐसे निकले जो [ २७९ ।