पृष्ठ:गुप्त-निबन्धावली.djvu/३७८

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हिन्दी-अखबार उनके थोड़े बहुत ग्राहक हैं, अन्य प्रान्तोंमें उनका प्रचार बहुतही कम है। इससे अखबारोंके सम्पादक ही उन्हें जानते हैं, जिनके यहां वह बदलेमें जाते हैं। इस प्रकारके हिन्दी अग्वबारोंमें जोधपुर राज्यका मारवाड़ गजट मबसे पुराना है। इतना पुराना है कि हिन्दीके वर्तमान जीवित पत्रोंमें उससे पुराना और कोई पत्र नहीं है। उमका जन्म वैशाख सुदी ३ संवत १६२३ को हुआ। अक्षयतृतीयाके शुभमुहूर्तमें वह जारी किया गया। उस समय राव गजा मोतीसिंह माहब मारवाड़ राज्यके मुसाहिबके पद पर थे। महाराज तखतसिंहजीका गजत्व काल था। उनकी मंजूरीसे उक्त निथिको दो अग्वबार जोधपुरसे जारी हुए । उनमेंसे एक अग्वबारके दो नाम थे। हिन्दीमें "मरुधरमिन्त” और उर्दमें "मुहिबेमारवाड'। यह अखबार राजा माहबका अपना था । उसमें साधारण समाचार और लेख छपते थे। उसका एक कालम हिन्दी और एक उर्द होता था। दूसरे अग्वबारका नाम "मारवाड़ गजट" था। वह भी आधा हिन्दो और आधा उर्द था । एक कालममें हिन्दी होती थी दूसरे में उर्दू । उसमें रियासतकी आज्ञाएं और भीतरी और बाहरी देशोंकी खबरें होती थीं। यह रियासतो पत्र था। ____इन अखबागेंके प्रथम प्रवन्धकर्ता बाबू हीरालाल थे। पीछे बाबू डोरीलाल उर्फ कृष्णानन्दजी हुए जो दरबार-स्कूलके हेडमाष्टर थे । जबतक बाबू डोरीलाल रियासतमें रहे, तबतक यह पहला पत्र जारी रहा। उनके काम छोड़कर चले जाने पर बन्द होगया। बाबू डोरीलाल एक योग्य और स्वाधीन स्वभावके पुरुप थे। बरेलीके रहनेवाले कायस्थ थे । अब शायद मध्यप्रदेशमें डिप्टीकलकर हैं। बाबू डोरीलालजीके बाद बाबू रामस्वरूप शमीम दरबार स्कूलके हेडमाष्टर हुए। उनके हाथमें मारवाड़ गजटका चार्ज आया। उस समय तक रियासतका ध्यान अखबारकी ओर [ ३६१ ]