पृष्ठ:गुप्त-निबन्धावली.djvu/३७९

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गुप्त-निबन्धावली संवाद-पत्रोंका इतिहास विशेष न था। रियासतके मामूली कामोंकी भांति यह भी एक काम समझा जाता था। मारवाड़गजटमें मारवाड़ राज्यके हाकिमोंकी बदली, तैनाती आदिको खबर छपती थीं। बाकी अंशमें कभी कभी कोई एक आध लेख छप जाता था और रहे सहे हिन्दी उर्दू पत्रोंसे छांट कर खवर भर दी जाती थीं। ____ बाबू रामस्वरूपजी भी कायस्थ थे। अजमेरके सदर राय अमीन दौलतरामके पोते थे। अच्छे लिखनेवाले और स्वाधीन प्रकृतिके आदमी थे। उन्होंने कई स्थानों में अपने मित्र और सम्बन्धियोंको मारवाड़ गजटका संवाददाता बनाया । इससे उसमें खबर खूब छपने लगीं। मारवाड राज्य- के एक इलाकेके ठाकुरने एक स्त्रीको डाइन होनेके सन्देहमे पुरानी रीतिके अनुसार कांटोमें जलवाकर मार दिया। उक्त इलाकेका नाम रास है। वह अजमेर प्रान्तके नयानगर स्थानके बहुत निकट है। वहांके एक संवाद- दाताने यह खवर मारवाड़गजटको लिग्यो और बाबू रामस्वरूपने उक्त गजटमें छाप डालो। अखबार एजण्टोमें भी जाया करता था, वहां पढ़ा गया। वहांसे राज्यको लिम्वा गया कि इस घटनाकी जांच होना चाहिये और यदि सच हो तो ठाकुरको दण्ड मिलना चाहिये । जोधपुर दरबारकी ओरसे उक्त ठाकुरके वकीलोंसे पूछा गया तो वह इनकार कर गये । तव बाबू रामस्वरूप पर इलजाम आया कि उन्होंने ऐसी गलत खबर क्यों छापी । उससे रियासतकी बड़ी बदनामी हुई है। वह बेचारे वहुत घबराये क्योंकि रियासतोंमें अखवारांको स्वाधीनता नहीं है। तथापि उन्होंने नयानगरके संवाददाताको लिखकर घटना प्रमाणित कर दी और उस स्त्रोके घरके लोगोंका पता बता दिया। तब उनसे कहा गया कि ठीक है यह बात तो सच है, पर आगेको कोई ऐसी खबर न छपे जिससे कुछ झगड़ा उत्पन्न हो । बस, उस दिनसे मारवाड़ गजटकी रही सही स्वाधीनता भी जाती रही। कुछ दिन पीछे इसी नाराजीके कारण