पृष्ठ:गुप्त-निबन्धावली.djvu/३८७

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गुप्त-निबन्धावली संवाद-पत्रोंका इतिहास पर सजनकीर्तिसुधाकरमें हमने वर्षों से उसके सम्पादकका लिखा हुआ कोई लेख नहीं देखा। उसे प्रति सप्ताह अखबारका नाम और तारीख देकर सम्पादकीय रश्म तो पूरी करनी पड़ती है, पर उसके नीचे वह लिखता है, विविध समाचार । वह समाचार भिन्न-भिन्न पत्रोंसे चुने जाते हैं। ऊपर लिखी संख्याके तीसरे पृष्ठमें वही हैं। चौथे पृष्ठमें तीन लेख "हिन्दोस्थान" से नकल किये हैं। चौथा और पांचवां राजस्थान समाचारसे। पांचवमें लड़ाईकी लीला है जो हिन्दी बङ्गवासीसे नकल की है, छठे-सातवेंमें धर्ममण्डलका लेख है, जो "राजस्थान-समाचार"से लिया है। सात-आठवमें भूकम्पका लेख है, वह भारतमित्रसे लिया है। फिर दो लेख और हैं, जो और दो अखबारोंसे नकल किये हैं। १६ लाइनमें उदयपुरकी खबर हैं, वही इस अखबारकी घरकी पूंजी समझना चाहिये। उसके नीचे उदयपुरके जन्म-मृत्युका एक लेखा भी २०-२५ लाइनमें है, यह भी उक्त अखवारके घरकी पूंजी ही समझना चाहिये। पर इसमें अङ्क ऐसे अन्धे लगाये हैं कि सब जमा-खर्च बराबर और हिसाब बेबाक मालूम पड़ता है। कई सालसे इस पत्रकी एक बातको हम बड़े ध्यानसे देखते आते हैं। यद्यपि यह पत्र सिरसे पैर तक दूसरे कागजोंकी नकल होता है, तथापि किसी लेखके नीचे उस अखबारका पूरा नाम नहीं देता, जिससे कि वह लेख नकल किया जाता है। नाम दिया जाता है इशारेमें। जैसे-१५ ए० भा० मि०, १८ ए० हि० स्था०, १२ ए० रा० स्था०, १० ए० बं० बा० । पाठकोंके समझनेके लिये हम इन इशारोंका भाष्य कर देते हैं-१५ एप्रिल भारतमित्र, १८ एप्रिल हिन्दोस्थान, १२ एप्रिल राजस्थान समाचार, १८ एप्रिल बंगवासी। जितनी जगहमें यह इशारे लिखे जाते हैं, पत्रका पूरा नाम भी उतनी ही जगहमें आ सकता और न्याय भी यह है कि जिस पत्रसे कोई लेख नकल किया जाय, उसका पूरा नाम नीचे दिया [ ३७० ]