पृष्ठ:गुप्त-निबन्धावली.djvu/४१५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

गुप्त-निबन्धावली संवाद-पत्रोंका इतिहास और मुख्य तो हृदयसंस्कार करनेको जैसा ये समर्थ है वैसा तो और कोई भी नहीं है। प्रथम तो समाचारपत्र राज्यका प्रधान मन्त्री और मध्यस्थ होता है, दूसरे वाणिज्यका तो जीवनस्वरूप है, जो कुछ वाणिज्यकी उन्नति और बढ़ती दिखाई देती है वो इसीके प्रसादसे है, क्योंकि आज कल हिन्दुस्तानमें सबसे बढ़कर बाणिज्यकी उन्नति बम्बईवालोंने करी है, यद्यपि कलकत्ता राजधानी है, और वाणिज्य भी होता है तो भी नफा और लाभ उन्हीं लोगोंको है जिनकी भाषामें समाचारपत्र प्रचलित है यहांके वनज व्योपारमे जितना लाभ अंगरेज यहूदी पारसी लोगोंको होता है, इस्का क्या कारण है ? हमारी समझमे तो खबरका कागज ही इस्का प्रधान कारण है। क्योंकि इस द्वारा देश देशांतरके मालका भाव और आमदनी रफ्तनीकी खबरोंसे मालकी स्थिति और (इस्टाक) जाननेसे और सब देश और समयकी घटना मालुम होनेसे वाणिज्यका भविष्यत अनुमान होय है, और तदनुसार काम करनेसे विशेष लाभ होना संभव है। ___ तीसरे इससे प्राय कृतविद्य देशहितषी लोग अपने अपने चित्तका भाव लिखके प्रकाश करते हैं उस द्वारा बिना पूछे भी अच्छे लोगोंको परामर्श और सलाह मिलती है। चाथे इसमें बहोतसे ऐसे विषय रहते हैं जिसके पढ़नेसे मनुष्य बहु- दशी और गुणवान हो जाते हैं । इस लिये उनको सभी काम सुगम हो जाते हैं और क्रमसे उन्नति होके बहोत लाभ होता है। परन्तु बड़े दुःखका विषय है कि ऐमा उपकारी और देशहितकारी समाचारपत्र हिन्दुस्थानकी राजधानी जो कि अब कलकत्ता है इसमे हिन्दुस्तानी महाजनोंके पढ़ने लायक कोई भी नहीं है इससे हम लोगोंको बहोत हानी होती है। [ ३९८ ]