मुप्त-निबन्धावली
स्फुट-कविता
टेसू
स्वागत ।
बर्षा बीती सदी आई, टेसृजीकी पड़ी अवाई ।
आये आये टेसू राव, लड़कोंके मनमें अति चाव ।
बड़ी धूमसे टेसू आये, भीड़ भड़क्का साथ लगाये ।
आये भोले भाले टेसू, लालबुझक्कड़ काले टेसू ।
टेसूजीका सुनिये हुलिया, मुंह है उनका फूटी कुलिया ।
चुन्धी आंखें बैठा नाक, तिसपर हरदम बीनी पाक ।
ऐसे हैं टेसू महाराज, भक्तनके नित सारं काज ।
देश देशकी बात सुनावं, गुप्त प्रकट सब खोल दिखावं ।
सुनिये उसका पूरा हाल, कैसा बीता अबका साल ।।
बड़ेलाट कर्जन
बार दूसरी कर्जन आये, सनद साल दोकी फिर लाये।
आय बम्बईमें यों बोले, कौन बुद्धि मेरीको तोले ।
मुझसा कोई हुआ न होगा, यह जाने कोई जानन जोगा।
मैं जो कुछ चाहूं सो होय, मेरे ऊपर और न कोय ।
राजाका भाई था आया, उसको भी नीचा दिखलाया ।
पहले मुझको मिला सलाम, तब फिर उससे हुआ कलाम ।
मुझको सोना उसको चांदी, मुझको बीवी उसको बांदी ।
गया विलायत शोर मचाया, सबको भौंचक करके आया ।
बार बार यह कहा कड़ककर-किसका शासन मुझसे बेहतर ?
भारतको रग मैंने पाई, तुम क्या समझोगे मेरे भाई ।
देखो मेरे यह दो साल, कैसा सबको करूं निहाल ।
मेरे पीछे जो कोई आवे, बैठे सोवे मौज उड़ावे ।
करना पड़े न कुछ भी काम, बैठे बैठे मिले सलाम ।।
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पृष्ठ:गुप्त-निबन्धावली.djvu/७२५
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