पृष्ठ:गुप्त-निबन्धावली.djvu/७२५

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मुप्त-निबन्धावली स्फुट-कविता टेसू स्वागत । बर्षा बीती सदी आई, टेसृजीकी पड़ी अवाई । आये आये टेसू राव, लड़कोंके मनमें अति चाव । बड़ी धूमसे टेसू आये, भीड़ भड़क्का साथ लगाये । आये भोले भाले टेसू, लालबुझक्कड़ काले टेसू । टेसूजीका सुनिये हुलिया, मुंह है उनका फूटी कुलिया । चुन्धी आंखें बैठा नाक, तिसपर हरदम बीनी पाक । ऐसे हैं टेसू महाराज, भक्तनके नित सारं काज । देश देशकी बात सुनावं, गुप्त प्रकट सब खोल दिखावं । सुनिये उसका पूरा हाल, कैसा बीता अबका साल ।। बड़ेलाट कर्जन बार दूसरी कर्जन आये, सनद साल दोकी फिर लाये। आय बम्बईमें यों बोले, कौन बुद्धि मेरीको तोले । मुझसा कोई हुआ न होगा, यह जाने कोई जानन जोगा। मैं जो कुछ चाहूं सो होय, मेरे ऊपर और न कोय । राजाका भाई था आया, उसको भी नीचा दिखलाया । पहले मुझको मिला सलाम, तब फिर उससे हुआ कलाम । मुझको सोना उसको चांदी, मुझको बीवी उसको बांदी । गया विलायत शोर मचाया, सबको भौंचक करके आया । बार बार यह कहा कड़ककर-किसका शासन मुझसे बेहतर ? भारतको रग मैंने पाई, तुम क्या समझोगे मेरे भाई । देखो मेरे यह दो साल, कैसा सबको करूं निहाल । मेरे पीछे जो कोई आवे, बैठे सोवे मौज उड़ावे । करना पड़े न कुछ भी काम, बैठे बैठे मिले सलाम ।। । ७०८ ]