गुप्त-निबन्धावली
स्फुट-कविता
जैसे मिण्टो जैसे कर्जन । होली है भई होली है ।
बराडरिकने हुक्म चलाया। कर्जनने दो टूक कराया ।
मलींने अफमोस सुनाया। होली है भई होली है ।
-भारतमित्र, सन् १९०६ ई०
नया काम कुछ करना
नया काम कुछ करना साधो ! नया काम कुछ करना ।
लड्डू पेड़ा पापड़ छोड़ो, घास पात अब । चरना ।
कान कटाना नाक छटाना, उल्टे होकर चलना ।
इत्र एसेंस लवंडर छोड़ो, तेल किरासन मलना ।
उछलो कूदो दौड़ो फांदो, फुदुक फुदुक कर धाओ।
घोड़ा छोड़ो गाड़ी छोड़ो, भैंसों पर चढ़ जाओ।
दाल भात रोटीको छोड़ो, छोड़ो मौसी मामा ।
कोट बूट पतलून उतारो, पहनो एक पजामा ।
रल मिलके सब कोई दौड़ो, पहुंचो टाउन हाल ।
हिन्दूपन पर लेक्चर झाड़ो, गाओ ताल बेताल ।
कलम चलाओ, बात बनाओ, गला फाड़ चिल्लाओ ।
हिन्दूधरम प्रचार करो भई, होनोलुल्लू जाओ।
जो न बने तुमसे कुछ भाई, पोटो पकड़ लुगाई ।
अथवा नाचो ताक धिनाधिन, सिरपर उन्हें बिठाई ।
अथवा जो तुम होते भाई, तो अब मूड़ कटाओ।
पर्वत परसे कूदो अथवा जलमें गोते खाओ।
नये ढङ्गसे जीना अथवा नये ढङ्गसे मरना ।
नया काम कुछ करना साधो ! नया काम कुछ करना ।
- भारतमित्र, सन् १९०६ ई. ।
[
७१८ ]
पृष्ठ:गुप्त-निबन्धावली.djvu/७३५
Jump to navigation
Jump to search
यह पृष्ठ शोधित नही है
